जनवरी ५, २०१९
सबरीमाला स्थित भगवान अयप्पा मन्दिरके तन्त्री (मुख्य पुजारी) कांतारारु राजीवेरुने ‘त्रावणकोर देवासम बोर्ड’को (टीडीबी) बताया है कि दो महिलाओंके मन्दिरमें प्रवेशके पश्चात उन्होंने उसे पवित्र करनेकी प्रक्रिया की थी । जब मन्दिरकी परम्परागत रीति-रिवाज टूटते हैं तो उसे पुनः पवित्र करनेकी प्रक्रिया पूर्ण की जाती है । यह स्वाभाविक प्रक्रिया है, जो पहले भी पूरी की गई है ।
दो जनवरीको दिनमें साढे दस बजे एक घण्टेके लिए मदिरको बंद किया गया था और उसे पवित्र करनेकी प्रक्रिया की गई थी । इसपर ‘टीडीबी’ने तन्त्रीसे उत्तर मांगा था । ‘टीडीबी’ मन्दिरका प्रबन्धन करनेवाली शासकीय समिति है ।
तन्त्रीके उत्तरपर विचारके लिए टीडीबीकी बैठक होगी । छह फरवरीको (बुधवार) उच्चतम न्यायालय २८ सितम्बरके अपने आदेशकी समीक्षाके लिए आई याचिकाओंकी सुनवाई करेगा ।
“कहां एक ओर वह भारत होता था, जो सन्तों, ब्राह्मणों व ऋषि-मुनियोंका आदर करता था, उनसे ज्ञान लेता था और कहां एक ओर आजका भारत है, जहां राज्यद्वारा पोषित चाकर उनसे सिर उठाकर अनर्गल प्रश्न कर रहे हैं और उन्हें शास्त्र सिखाना चाहते हैं ! कलियुगके शैशवकालमें ही इतना पाप बढेगा तो आगे क्या होगा ? अब इसलिए एक नव निर्मित व सुसंस्कृत राष्ट्रकी आवयकता है !”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : जागरण
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