प्रश्न : क्या मात्र योगासन करनेसे व्यक्तिकी आध्यात्मिक प्रगति सम्भव है ?


अनेक व्यक्तियोंको लगता है कि यदि वे योगासन और प्राणायाम करते हैं तो वे आध्यात्मिक हैं और इसे सिखानेवाले व्यक्ति आत्मज्ञानी संत ही होते हैं । योगासन और प्राणायाम करनेसे आध्यात्मिक प्रगति नहीं होती है, उससे मात्र हमारे स्थूल देह और मनो देह अर्थात मनकी कुछ सीमातक शुद्धि होती है जो किसी भी योगमार्गसे साधना करनेपर होती है !

   खरे संत  यदि किसीको मात्र योगासन इत्यादि सिखाते हैं तो जान लें कि ऐसे साधक, आध्यात्मिक प्रगति हेतु उच्च स्तरकी साधना नहीं कर सकते और जिनका आध्यात्मिक स्तर अच्छा होता है उन्हें संत मंत्रजप या अन्य योगमार्गसे साधना करनेके लिए कहते हैं । साथ ही, प्रत्येक योग सिखानेवाले व्यक्ति संत हों, ऐसा भ्रम न पालें, वर्तमान कालमें ९९ % योग सिखानेवाले गुरुका आध्यात्मिक स्तर २५ से ५० % के मध्य है अर्थात वे सन्तपदपर नहीं होते हैं !



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