२१ दिनकी बन्दीके समयका सदुपयोग कैसे करें ? (भाग-३)
आप तो हमारे देशके उत्तरदायित्वहीन राज्यकर्ताओंको देख ही रहे हैं कि वे इस आपातकालमें भी सतर्क होकर, थोडा दूरदर्शी होकर, राज्य और केन्द्र, दोनों आपसमें समन्वय स्थापित कर, प्रजाकी समस्याओंपर सब उपाययोजना नहीं निकाल पा रहे हैं और हमारी प्रजाका क्या कहना ?, उसके लिए तो कोई भी विशेषण पर्याप्त नहीं है । अर्थात अब भारतका भविष्य ‘कोरोना’के सम्बन्धमें निश्चित ही भगवान भरोसे है । हमारी राजधानीमें जिस प्रकारसे दिहाडी श्रमिकोंद्वारा सामूहिक पलायन किया जा रहा है, वह इस संकटकालमें आत्मघाती ही कहा जा सकता है । यदि उनकी समस्याको ध्यानमें रखकर सब नियोजन किया जाता तो आज स्थिति इतनी विस्फोटक न होती; इसलिए इस आपातकालीन संकटको सामान्य संकट न समझें और अपनी दूरदर्शिताका परिचय देकर भारतव्यापी बन्दीके मध्य मिले समयका सदुपयोग करें !
जिस प्रकारका उत्तरदायित्वहीन वर्तन इस कालमें इस देशकी प्रजा एवं राज्यकर्ताओंसे हो रहा है, उससे यह तो निश्चित ही है कि १४ दिनोंमें यह बन्दी कदापि समाप्त नहीं हो सकती है और वैसे भी जो वातावरण वैश्विक पटलपर बन रहा है, उससे यह तो सिद्ध हो ही चुका है कि विश्वयुद्ध अब निकट ही है, ऐसेमें अपने समयका सदुपयोग उद्यानिकीमें (बागवानीमें) भी करें ! आपके पास जो भी स्थान उपलब्ध हो, उसमें शाक-तरकारी (सब्जी) उगानेका प्रयास करें ! जैसे कद्दू, (कहीं-कहीं इसे कोहडा कहते हैं) उसका बीज आपको वह तरकरी लेते समय ही मिलेगा, तो यदि वह पका हुआ है तो उसे लगा दें ! धनिया, पुदीना इत्यादिके कोमल डण्ठल भी पत्तियोंका उपयोग करनेपर लगा सकते हैं । टमाटर भी पके हुए हों तो भी आप उसके बीज लगा सकते हैं । उसी प्रकार करेला भी लगा सकते हैं । इन सब तरकारियोंको लगाने हेतु आपको बीज भण्डारमें भी जाना नहीं पडेगा । यह सब मैं इसलिए बता रही हूं; क्योंकि यह आपताकाल अब कुछ वर्ष चलेगा तो स्वयंपूर्ण बनना सीखें ! और ‘इण्टरनेट’पर तो आजकल घरमें गमलेमें तरकारी कैसे उगाएं ?, इसके बहुतसे ‘वीडियो’ हैं ।
ध्यान रहे ! निधर्मी शासन चाहे कितना भी प्रयास कर ले ?, वह आपातकालमें अधिक समयतक प्रजाका पालन-पोषण नहीं कर सकता है; इसलिए आपको पहलेसे ही सतर्क कर रही हूं । इसमें ‘एक पन्थ दो काज’ हो जाएंगे, समयका सदुपयोग भी और साथ ही आपातकालमें तरकारीकी व्यवस्था भी घरमें ही हो जाएगी ।
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