काशीमें टूटें मकानोंसे निकला काशी विश्वनाथ सदृश एक देवालय !!


दिसम्बर १, २०१८

प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदीके संसदीय क्षेत्रमें उनकी मुख्य परियोजना काशी विश्वनाथ मन्दिर कॉरिडोरके अन्तर्गत चल रहे ध्वस्तीकरण कार्यके मध्य लोगोंके घरोंमें कैद हो गए कई प्राचीन मन्दिर अब एक-एक कर सामने आ रहे हैं ! आपको बता दें कि मन्दिर कॉरिडोरके लिए १८२ भवनोंको क्रय कर उनके ध्वस्तीकरणका कार्य इन दिनों वाराणसीमें चल रहा है । इस मध्य १८वीं से १९वीं शताब्दीके मध्यके कई अति प्राचीन मन्दिर मिले हैं ।

काशीमें मिले एक और विश्वनाथ ?

ध्वस्तीकरणके समय एक ऐसा भी प्राचीन मन्दिर मिला है जो विश्वनाथ मन्दिरसे एकदम मिलता है ! इन प्राचीन मन्दिरकी भित्तपर कलात्मक आकृतियां हैं, जो इतिहासकारोंको यह भी स्मरण करनेके लिए विवश कर रही हैं कि मुगल साम्राज्यके पतनके साथ प्रभावशाली हिंदूओंने इस अवधिमें बडे स्तरपर मन्दिर निर्माणका नेतृत्व भी किया । अब तक धवस्तीकरणके मध्य ४३ छोटे-बडे अति प्राचीन मन्दिर सामने आ चुके हैं । प्राचीन मन्दिरोंके साथ कई दुर्लभ विग्रह भी सामने आए हैं ।

बनने जा रहे हैं दो कॉरिडोर

देशभरसे काशी विश्वनाथ मन्दिर आने वाले श्रद्धालुओंकी सरलताके लिए प्रधानमंत्रीकी महत्वाकांक्षी योजनाके अन्तर्गत २५ सहस्र वर्गमीटरमें मणिकर्णिका व ललिता घाटसे मन्दिरतक ४०-४० फीटके दो कॉरीडोर बनानेका कार्य गत कई माहसे चल रहा है । अब तक इसके लिए १८२ भवनोंको क्रय करनेके पश्चात ध्वस्तीकरणका कार्य चल रहा है ।

विश्वनाथ मन्दिरसे बडा है शिवलिंग

कॉरिडोरके लिए मकानोंके ध्वस्तीकरणके मध्य मिल रहे प्राचीन मन्दिरोंमें नक्काशी और वास्तुकलाका अद्भुत प्रतीक सामने आ रहा है । पक्के मकानके मकान क्रमांक सी. के. ३४/२७ के ध्वस्तीकरणके समय विश्वनाथ मन्दिर जैसे वास्तुकलाका यह मन्दिर मिला है ! इस मन्दिरमें शिवलिंग और नंदीका आकार विश्वनाथ मन्दिरसे बडा है ! मन्दिरमें नीचेकी ओर रथ बने हुए हैं, वहीं सभी खंभोंके ऊपर कीचक बने हैं !

१८ से १९वीं शताब्दीके हैं मन्दिर

इतिहासकार मारुतिनंदन तिवारीने कहा कि जो प्राचीन मन्दिर मिले हैं, वह सब १८वीं से १९वीं शताब्दीके मध्यके ही हैं । इनको परमार कालीन मन्दिर भी कहा जा सकता है। उन्होंने कहा औरंगजेब कालमें काशी विश्वनाथ मन्दिरको नष्ट करना भी इतिहासमें एक ज्ञात तथ्य है । औरंगजेबकी मृत्युके पश्चात मुगल कालका पतन प्रारम्भ होनेके पश्चात प्रतिक्रियामें थोकमें मन्दिरोंका निर्माण हुआ । इन्हींमें से एक विश्वनाथ मन्दिर है, जिसका निर्माण अहिल्याबाई होलकरने १७७७ में करवाया ।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण करेगा अध्ययन

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षणके नीरज सिन्हाका कहना है कि इन मन्दिरोंकी प्राचीनता ज्ञात करनेके पश्चात कॉरिडोर निर्माणके समय इनका जीर्णोद्धार कराकर मन्दिरोंके बाहर शिलापट्टपर इतिहास लिखा जाएगा । अभी ध्वस्तीकरणका कार्य चलनेके समय इन मन्दिरोंकी प्राचीनता ज्ञत करनेमें परेशानी आ रही है ।

कॉरिडोरमें चमक बिखेरेंगे प्राचीन मन्दिर

काशी विश्‍वनाथ मन्दिरके मुख्‍य कार्यपालक अधिकारी विशाल सिंहका कहना है कि काशी विश्वनाथ मन्दिर कॉरिडोरके लिए जिन मकानोंको क्रय कर ध्वस्तीकरणका कार्य चल रहा है, उसमेंसे निकल रहे प्राचीन मन्दिरों व विग्रहोंको संरक्षित किया जाएगा । कॉरिडोरमें प्राचीन मन्दिरोंका यह संकुल अपने आपमें अनूठा और अलग छटा बिखेरेगा ।

४० भवन कर चुके हैं ध्वस्त

काशी विश्वनाथ मन्दिर कॉरिडोरको विकसित करनेके लिए २९६ भवनोंकी पहचान की गई, जिनका अधिग्रहण करके ध्वस्तीकरण किया जाएगा । अब तक १८२ भवनोंको क्रय करनेके साथ ४० भवनोंको ध्वस्त कर दिया गया है ।

इस रास्तेसे पहुंच सकेंगे विश्वनाथ मन्दिर

काशी विश्वनाथ मन्दिर कॉरिडोर बन जानेके पश्चात तीर्थयात्रियोंको संकरी गलियोंके सहारे विश्वनाथ मन्दिर पहुंचनेसे मुक्ति मिल जाएगी । तीर्थयात्री सीधे मणिकर्णिकाघाट, जलासेन व ललिताघाटसे काशी विश्वनाथ मन्दिर पहुंच सकेंगे । दिव्यांग तीर्थयात्री व वीआईपी ही छत्ताद्वारसे प्रवेश करेंगे ।

 

स्रोत : नभाटा



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