श्रीगुरु उवाच


युवावस्थामें साधना करनेका महत्त्व

वृद्धावस्था आनेपर, वृद्धावस्था यथार्थमें क्या होती है ? इसका अनुभव होता है । इस अनुभवके उपरान्त वृद्धावस्था देनेवाला पुनर्जन्म नहीं चाहिए, ऐसा प्रतीत होने लगता है; परन्तु तबतक साधना करके पुनर्जन्म टालनेका समय निकल चुका होता है । ऐसा न हो; इसलिए युवावस्थासे ही साधना करें ! – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक, सनातन संस्था, साभार : मराठी दैनिक सनातन प्रभात



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