अग्निहोत्र एवं अग्निहोत्रकी भस्म, दोनों ही पेड-पौधोंके लिए बहुत प्रभावी परिणाम देते हैं । अनेक स्थानोंपर किसान अब खेतके मध्यमें जाकर अग्निहोत्र करने लगे हैं एवं यह कृषकोंमें एक नूतन उत्साह भर देती है ।
अग्निहोत्रकी भस्मका पौधोंपर कैसे उपयोग करना है ? इसके विषयमें आपको बताते हैं । अग्निहोत्रकी भस्मको एक डिब्बेमें अच्छेसे सम्भाल कर रखें । जब यह पर्याप्त मात्रामें एक एकत्रित हो जाए तो एक ग्राम अग्निहोत्रकी भस्म, एक लीटर जलमें डालकर, उसे एक कांच या प्लास्टिकके पात्रमें रख दें एवं चार दिवस प्रातः तथा सन्ध्या समय इसे तीनसे चार मिनिट एक लकडीके चम्मचकी सहायतासे चलाएं एवं पांचवें दिवस इस जलको पौधोंपर छिडकें । इससे पौधोंमें किसी प्रकारके कीडे नहीं लगेंगे एवं इससे एक सूक्ष्म तेजके वलयका पौधोंमें निर्माण होता है, जिससे पौधोंकी अत्यधिक वृद्धि होती है । यदि फलवाले वृक्ष हों तो इसमें फल अधिक लगते हैं एवं इसका स्वाद भी दिव्य होता है । यह प्रयोग प्रत्येक पन्द्रह दिवस करना है । मैंने प्रत्यक्षमें इसके उपयोगका परिणाम देखा है ।
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