गायके गोबरसे विद्युत बना रहे ब्रिटिश किसान, १ किलो गोबरसे मिल रही ३.७५ ‘किलोवाट’ विद्युत 


२८ नवम्बर, २०२१
      ब्रिटेनके किसान अब गायके गोबरसे विद्युत बनाकरके उचित मूल्य ले रहे हैं । ये किसान गायके गोबरका प्रयोग करके ‘एए’ आकारकी साधित ‘पैटरी (बैटरी)’ बना रहे हैं । इन ‘पैटरी’का पुनर्भरण भी किया जा सकता है । अब माना जा रहा है कि ये ‘रिचार्जेबल पैटरीज’ ब्रिटेनकी अक्षय ऊर्जाकी दिशामें एक बडा योगदान दे सकते हैं । अनुसन्धानमें सामने आया है कि १ किलो गायके गोबरसे ३.७५ ‘केडब्ल्यूएच’ (किलोवॉट ऑवर) विद्युत बनाई जा सकती है ।
      इसे कुछ यूं समझिए कि एक किलो गायके गोबरसे उत्पन्न हुई विद्युतसे एक स्वच्छता यन्त्रको (वैक्यूम क्लीनरको) ५ घण्टेतक संचालित किया जा सकता है, या पुनः ३.५ घण्टेतक आप ‘इस्त्री’का (आयरनका) प्रयोग करते हुए, वस्त्रोंपर ‘इस्त्री’ कर सकते हैं । इन ‘बैटरियों’को ‘आरला’ नामकी दुग्ध उत्पादक सहकारी संस्थाने बनाया है । इस कार्यमें ‘जीपी बैटरीज’ नामकी ‘बैटरी’ ‘कम्पनी’ने किसानोंकी सहायता की है । दोनों ‘कम्पनियों’ने बताया है कि एक गायसे मिलनेवाले गोबरसे १ वर्ष तक ३ घरोंको विद्युत दी जा सकती है ।
      इस प्रक्रियाके अन्तर्गत, गोबरको ‘बायोगैस’ और ‘बायो-फर्टिलाइजर’में तोड दिया जाता है । ब्रिटिश किसानोंका कहना है कि ये एक रचनात्मक प्रयास है, जो प्रचुर मात्रामें उपलब्ध गोबरका सदुपयोग करके ब्रिटेनकी एक बडी समस्याका समाधान कर सकता है । उनका कहना है कि अपने खेतों और समूची सम्पत्तिमें वे इसी ऊर्जाका उपयोग कर रहे हैं; किन्तु इसकी क्षमता इससे कहीं अधिक है । यहांतक कि गोबरसे ऊर्जा बनानेके बाद जो अपव्यय शेष रहता है, उसका उपयोग खेतोंमें खादके रूप में किया जाता है ।
        भारतमें गायसे मिलनेवाले उत्पादोंका व्यवसायिक उपयोग तो छोडिए, भारतमें गायके साथ अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है । भारतमें गायको माताका स्थान दिया जाता है और सदैवसे ही धार्मिक कृत्योंमें गायको सम्मिलित किया जाता है; किन्तु धार्मिक शिक्षाका अभाव और तथाकथित पढे-लिखे हिन्दुओंका धर्मनिरपेक्ष बन जानेके कारण लोगोंने धार्मिक कृत्य सहित गायको अपने दैनिक जीवनसे ही निकाल दिया है और इसीका परिणाम है कि हिन्दुओंकी आज चहुं ओर दुर्दशा हो रही है । – सम्पादक, वैदिक उपाासना पीठ
 
 
स्रोत : ऑप इंडिया


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