बकरीकी गर्दन पकड दांत चियारता बच्चा, ‘बकरीद’पर यह है ‘PETA India’का पशु-प्रेम, हिन्दू त्योहारोंपर ज्ञान दे, दिखाता है दोहरा चरित्र
१० जुलाई, २०२२
भारतमें पशुओंके अधिकारोंकी स्वर उठानेवाले संस्थान ‘पेटा इंडिया’ने (PETA India ने) ‘बकरीद’पर मुसलमानोंको रूष्ट न करनेका निर्णय किया है । ‘बकरीद’में बकरियों और अन्य पशुओंकी हत्या की जाती है और मुसलमान लोग उसे खाते भी हैं । पशुओंके अधिकारोंकी बातपर आज ‘पेटा इंडिया’ मौन धारण कर चुका है ।
मुसलमानोंको पशुओंकी हत्यापर एक भी शब्द न बोलनेवाला ‘पेटा इंडिया’ प्रायः हिन्दू त्योहारोंपर आपत्ति प्रविष्ट करवाता रहता है । वर्ष २०२० की होलीमें ‘पेटा इंडिया’ने पशुओंपर रंग न डालनेकी याचना की थी ।
वर्ष २०२० में ‘पेटा’ने एक नियामवली बनाकर पशुहत्याकी उचित युक्ति बतानेका प्रयास किया था । उसी समय हिन्दू त्योहारपर वे प्रत्येक व्यक्तिसे ‘डेयरी प्रोडक्ट’तक छोडने और ‘विगन’ बननेकी ‘अपील’ करता है । गत कुछ वर्षोंमें ‘पेटा’ने पशुओंके अधिकारियोंको लेकर धर्मके आधारपर अनेक बार अपना चरित्र दिखाया है । इस बकरीदपर ‘पेटा’द्वारा किसी प्रकारकी याचना न करनेके पीछे धार्मिक भावनाओंके आहत होनेपर ‘सिर तन से जुदा’का भय माना जा रहा है ।
‘पेटा’ जैसी संस्था केवल ऊपरी ज्ञान देना जानती है और हिन्दूके त्योहारोंके प्रति अपना सुझाव देती रहती है; जबकि ‘बकरीद’पर कुछ भी कहना उचित नहीं समझती है । ऐसी संस्थाके विरुद्ध हिन्दुओंको स्वर मुखर करना चाहिए । – सम्पादक, वैदिक उपाासना पीठ
स्रोत : ऑप इंडिया
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