जीर्ण-शीर्ण अवस्थामें पुष्करका ब्रह्मा मन्दिर, कभी भी हो सकता है धराशायी, पुनर्निर्माणके लिए ‘ASI’ और गहलोत शासनसे ‘गुहार’
०८ अगस्त, २०२२
राजस्थानके पुष्करमें स्थित ब्रह्मा मन्दिर जीर्ण-शीर्ण अवस्थामें दुर्दशाग्रस्त है और ये थाती (धरोहर) कभी भी धराशायी होनेकी सीमापर खडी है । सृष्टिके रचयिता भगवान ब्रह्माका ये मन्दिर ठीक होने और पुनर्निर्माणकी बाट जोह रहा है । मन्दिरके मूल ढांचेमें अनेक पाट (दरारें) हैं और ये अनेक स्थान ‘टूट-फूट’ गया है । स्थान-स्थानसे धरातल भी धंस चुका है । बता दें कि इस पृथ्वीपर भगवान ब्रह्माके दुर्लभ मन्दिरोंमें से ये एक है । उल्लेखनीय है कि भारतीय पुरातत्त्व विभागकी(ASIकी) अनुमतिके बिना यहां कोई कार्य नहीं हो सकता ।
मन्दिरके भूतलमें स्थित २ प्राचीन शिव मन्दिरोंको पूजाके लिए बन्द कर दिया गया है; क्योंकि उनकी जल निकासी प्रणाली (ड्रेनेज सिस्टम) ही बाधित हो चुकी है । श्रद्धालु जल चढाते हैं तो पानी बाहर ही नहीं निकल पाता । आधारशिलामें ‘रिसाव’की भी आशंका है । लोग मल निकासी प्रणालीसे (सीवरसे) आचमन करनेको बाध्य हैं । साथ ही निकटके एक विशाल वटवृक्षसे भी मन्दिरको क्षति पहुंच रही है ।
मध्यप्रदेशके भानपुरामें स्थित ज्योर्तिमठकी अवांतर पीठके जगद्गुरु शंकराचार्य ज्ञानानंद तीर्थ भी कुछ समय पूर्व ही पुष्कर पहुंचे थे, जहां उन्होंने इस मन्दिरकी जीर्ण-शीर्ण स्थितिको देखते हुए शासनसे उसे ठीक करनेकी मांग की । राजस्थानमें मुख्यमन्त्री अशोक गहलोतके नेतृत्ववाले कांग्रेस शासनसे भी लोग इसको ठीक करनेकी मांग कर रहे हैं ।
गहलोत शासन राज्यकी संस्कृति और थातीको बचानेका प्रयास नहीं करती दिख रही है, इससे स्पष्ट समझमें आता है कि कांग्रेस शासन केवल तुष्टीकरणकी राजनीति करती है । हिन्दुओंकी आस्थाका प्रतीक पुष्करका ब्रह्मा मन्दिर दुर्लभ मन्दिरोंमेंसे एक है; अतः इसका संरक्षण हो, इस हेतु सभी हिन्दुओंको संगठित होकर प्रयास करना चाहिए और गहलोत शासनपर इसे ठीक करानेके लिए दबाव बनाना चाहिए । – सम्पादक, वैदिक उपाासना पीठ
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