अपनी छविको साम्प्रदायिक होनेसे बचानेवाले आजके तथाकथित धर्मगुरु
अगस्त २०११ में कश्मीरमें धर्मयात्राके मध्य एक विश्व प्रसिद्ध हिन्दू धर्म गुरुसे मिलनेका सौभाग्य प्राप्त हुआ | मेरे एक हिंदुत्ववादी कश्मीरी पंडित जो मेरे परिचित थे और वहांके हिन्दुत्ववादी नेता थे, उन्हें धर्मगुरुने मिलने हेतु बुलाया था, उनके आग्रहपर मैं भी उनके साथ गयी | हमें उनकी सत्संगका सौभाग्य मिला | मैंने अपने हिंदुत्ववादी परिचितको मेरा अधिक परिचय देनेसे मना किया था | धर्मगुरुने पांच मिनटमें उस क्षेत्र उस हिंदुओंकी दुर्दशाके विषयमें अपनी चिंता दर्शायी और हिंदुओंके रक्षण हेतु कुछ उपाय बताए और अपना सहयोग देनेकी इच्छा जताई | हम उनके दर्शन कर बाहर निकले तो जिस परिचितके साथ मैं गयी थी, उन्होंने कहा “यह सब नौटंकी है, मुझे ज्ञात है, ये कुछ नहीं करने वाले” | वे पहले भी उनसे मिलना नहीं चाहते थे; परन्तु धर्मगुरुजी ही उनसे मिलना चाहते थे, उस परिचितका आध्यात्मिक स्तर ६० % है और उस धर्म गुरुका ५० % | मैं सबकुछ साक्षीभावसे सुन सीढीसे उतर रही थी कि तभी स्वामीजीके एक शिष्य आए और हमसे धीरेसे बोले ” देखिए, स्वामीजीने जो कहा है उसे सबको न बताइएगा, अपने आप तक सीमित रखें, हम आपको भीतरसे जितना हो सकेगा सहयोग करेंगे ” | उस शिष्यके जानेके पश्चात हम दोनों अपनी हंसी रोक न पाये; क्योंकि जब धर्मगुरुजी, हम दोनोंसे बात कर रहे थे तब वहां उनका कोई शिष्य नहीं था, अर्थात उन्होंने ही अपने शिष्यको ऐसा सन्देश देने हेतु बताया होगा ! अब ५० % स्तरवाले धर्मगुरुसे आप और अपेक्षा भी क्या कर सकते हैं, वे निश्चित ही पहले अपनी छवि बचाएंगे; क्योंकि यदि उन्होंने खुलकर हिन्दू धर्मकी रक्षाकी बात सबके समक्ष की तो लोग उन्हें सांप्रदायिक कहेंगे, ऐसेमें अरब देशके शेखोंसे आनेवाली धन राशि रुक नहीं जाएगी | अब आप सब उस धर्मगुरुका नाम न पूछे, आम खाएं, घुटलीमें रुचि न दिखाएं ! मैं तो मात्र आपको आजके धर्म गुरु (जिन्हें लोग संत कहते हैं) उनकी एक झलक प्रस्तुत कर रही हूं क्योंकि जब कोई गुरुपदका अधिकारी अर्थात संत नहीं होते हैं तो उन्हें अपने छविकी (अहंकी) अत्यधिक चिंता होती है | वस्तुत:: हिन्दू धर्मके पतन हेतु ऐसे अनाधिकृत धर्मगुरु अधिक उत्तरदायी हैं | आनेवाले कालमें ईश्वरीय विधान अनुसार सबके पोल खुल जायेंगे | – तनुजा ठाकुर
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