राष्ट्र और धर्म एक दूसरे के पूरक हैं। राष्ट्र से धर्म है और धर्म से राष्ट्र है। जहांं धर्मका क्षय होता है वहींं राष्ट्रका विखंडन होता है। जम्बू द्वीपमेंं धर्मके क्षयके साथ साथ जम्बू द्वीप राष्ट्रका विखंडन प्रारम्भ हुआ और केवल आर्यावर्त्त रह गया। आर्यावर्त्तके लोग भी धर्मसे विमुख हुए तो केवल खंडित भारत शेष रहा। अब भारतमेंं भी धर्मका नास्तिकवादियोंंके (सेक्युलर) कारण क्रमशः क्षय हो रहा है फलस्वरुप भारत पुनः विखंडनके कगार पर खड़ा है ! धर्मनिरपेक्ष राष्ट्रमें कालांतर में प्रजा धर्मसे विमुख हो जाती है और परिणामस्वरूप व्यष्टि और समष्टि जीवन में अनेक व्यभिचार व्याप्त हो जाते हैं अतः धर्मसापेक्ष राष्ट्र ही समृद्धि की ओर हमें ले जा सकता है – तनुजा ठाकुर
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