संतोंको हम इन स्थूल आंखोंसे क्यों नहीं पहचान सकते हैं ?


संतकी आध्यात्मिक परिभाषा क्या है, यह जान लेते हैं , जिस जीवात्माका मन बुद्धि एवं अहम् नष्ट हो गया हो और वे विश्वमन एवं विश्वबुद्धिसे एकरूप हो गए हों उन्हें संत कहते हैं अब आप ही बताएं किसी व्यक्तिका मनोलय हो गया है उसकी बुद्धि एवं अहमका लय हो गया है ऐसे व्यक्तिको कोई साधारण पञ्च ज्ञानेन्द्रियोंसे या अल्प बुद्धिसे कैसे समझ सकता है ? अतः संतोंको समझना या उनकी अनुभूति हेतु साधनाका ठोस आधार होना चाहिए, या सूक्ष्म ज्ञानेन्द्रियां जागृत होनी चाहिए या ईश्वरके प्रति भाव होना चाहिए अन्यथा आप संतके साथ रहकर भी आप संतको पहचान नहीं पाएंगे -तनुजा ठाकुर



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

सम्बन्धित लेख


विडियो

© 2021. Vedic Upasna. All rights reserved. Origin IT Solution