कबीरदासजीने कहा है, ईश्वर तो चीटींके पांवमें लगे घुंघरुकी भी आवाज सुन सकते हैं; परंतु कुछ हिन्दु मंदिरोंमें जाकर घंटेको ऐसे बजाते हैं जैसे भगवान बहरे हों ! इस कारण वहां जितने भी अन्य भक्त होते हैं जिसमें कोई नामजप कर रहा होता है, तो कोई ध्यान, उन सबकी साधनामें विघ्न पडता है इस प्रकारके भक्तोंपर ईश्वरीय कृपा कैसे होगी आप स्वयं सोचें ! ध्यान रखें दूसरोंका विचार करना इसे साधकत्व कहते हैं ! घंटा अत्यंत प्रेमसे और हल्की ध्वनिमें बजाना चाहिए जैसे हम अपने प्रिय जनको जगा रहे हों और उनसे कुछ विनती करनेवाले हों ! – तनुजा ठाकुर
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