किसी भी समाजमें ५% (5%) दुर्जन , १० % (10%) साधक और ८५% (85%) सज्जन होते हैं, जब साधक संगठित होकर राज्य करते हैं तब राष्ट्रका सर्वांगीण विकास होता है और जब दुर्जन संगठित होकर राज्य करते हैं तो चारो ओर त्राहिमां और हाहाकार मच जाता है और जो ८५% जनता होती है , जो संगठित होता है उसके पीछे-पीछे चलती है अर्थात अधिकांश जनताकी स्थिति बिन पेंदेके लोटे समान होती है जिसका पलडा भारी ऊधर मुंह कर लिए !!! अतः साधकों संगठित हो जाओ, आज देशको इसकी आवश्यकता है, ५% दुर्जनोंमें इतनी शक्ति नहीं होती कि वे ९५% का सामना कर सके !-(पू.)तनुजा ठाकुर
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