वर्ण व्यवस्था आधारित प्राचीन भारतीय संस्कृति की कुछ विशेषता इस प्रकार थी


१. पद और प्रतिष्ठा जन्म अनुसार नहीं कर्म अनुसार मिलता था |

२. जिसका जितना अधिक अधिक त्याग और धर्माचरण को कृति में लाने के प्रयास होते थे , उसे समाज में उतना ही उच्च स्थान प्राप्त होता था |

३. दंड का विधान भी उसी प्रकार था जिसका वर्ण जितना ऊंचा उसे उसके चूक का उतना ही कठोरतम दंड मिलता था |

४. छुआछूत और भेदभाव समाज में नहीं था |

५. सभी को साधना करने का अधिकार प्राप्त था |

६. अपनी क्षमता बढ़ाकर अपना वर्ण परिवर्तित कर सकते थे |

७. प्रत्येक व्यक्ति अपने वर्ण अनुसार अपनी व्यष्टि और समष्टि उत्तरदायित्व निभाता था | -तनुजा ठाकुर



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