ब्रहचर्य आश्रम या विद्यार्थी जीवनमें साधनाकी नींव परम आवश्यक !!


वस्तुत: साधना जितनी शीघ्र आरंभ कर सकें उतना ही अच्छा होता है ।  विद्यार्थी जीवनमें मनकी एकाग्रता और आत्मनियंत्रण(ब्रह्मचर्य), यह दोनों साध्य करनेके लिए आत्मबल आवश्यक होता है। यह साधनाद्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है।  आजके विद्यार्थियोंको साधनाकी नितांत आवश्यकता है, हमारी निधर्मी सरकारने साधनाका महत्व आजके युवा मनपर अंकित नहीं किया, परिणामस्वरूप आज अनेक युवा व्यभिचार करते हैं, व्यसन करते है और छोटी आयुमें बलात्कार और अन्य जघन्य अपराधोंमें लिप्त होते दिखाई दे रहे हैं, यह सब धर्म एवं साधनाके अभावका परिणाम है -तनुजा ठाकुर



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