हम ढोंगी गुरुके चुंगलमें कब और कैसे फंस जाते हैं ?


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१. यदि हमने अध्यात्मशास्त्रका अभ्यास नहीं किया होता है |
२. यदि हमें सूक्ष्मका ज्ञान नहीं होता |
३. यदि हम भौतिक जगतकी वस्तु प्राप्त करनेके लिए गुरु ढूंढते हैं |
४. जब स्वयंकी साधनाका ठोस आधार नहीं होता |
५. जब हम अपनी जीवनकी समस्याओंसे पीछा छुडानेके हेतु भगोडेपनकी वृत्ति रख अध्यात्मका आधार लेना चाहते हैं |
६. जब हमें गुरु-शास्त्रपर पूर्ण श्रद्धा नहीं होती |
७. जैसा शिष्य होता हो, वैसे ही गुरु मिलते हैं, अतः उच्च कोटिके गुरु चाहिए तो अपनी पात्रता बढायें |
८. जब कोई भीड देखकर गुरु धारण करने जाते हैं | वास्तविकता यह है कि गुरुको हम धारण नहीं करते, अपितु गुरु हमें शिष्यके रूपमें स्वीकार करते हैं |- तनुजा ठाकुर

 



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