शिष्यकी पात्रताके अनुसार गुरुतत्त्व कार्य करता है !


अध्यात्मशास्त्रका ज्ञान न होनेके कारण अनेक जिज्ञासु एवं साधक, ढोंगी गुरुके चक्रव्यूहमें फंस जाते हैं; परंतु मैंने देखा है कि जिस साधकमें साधना करनेकी, ईश्वरप्राप्तिकी अत्यधिक तडप हो और साधकत्त्वका प्रमाण अधिक हो तो वह यदि अयोग्य गुरुके चकव्यूहमें फंस भी जाये तो उसकी श्रद्धा और भावके कारण गुरुतत्त्व उसका योग्य मार्गदर्शन करते हैं और उसके जीवनमें योग्य गुरुका प्रवेश स्वतः ही हो जाता है | खरे अर्थोंमें शिष्यकी पात्रता, उसकी गुरुभक्ति एवं स्तरके अनुसार गुरुतत्त्व कार्य करता है !-तनुजा ठाकुर



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