हमारे अनेक धर्मग्रंथोंमें देवासुर संग्राममें उल्लेख किया गया है कि असुर भी शिव भक्त हुआ करते हैं, और देवता एवं असुरमें जिसकी भक्ति श्रेष्ठ होती थी वह धर्मयुद्धमें जीतता था। जब असुर देवताको कष्ट दे सकते हैं, तो हम क्या हैं, स्वयं सोचें ! ध्यानमें रहे, हमसे अधिक एकाग्रतासे और दृढ़तासे आसुरी शक्ति हमें धर्मके मार्गसे विमुख करनेके लिए साधनाकर, हमें कष्ट देती हैं। ऐसेमें हमें भी सूक्ष्म युद्धकी रणनीति सीख, उन्हें पराजित कैसे करना है, यह सीखना कलियुगकी मुख्य साधना है -तनुजा ठाकुर
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