हनुमान स्तुति


यत्र यत्र रघुनाथ कीर्तनं
तत्र तत्र कृतमस्तकाञ्जलिम् ।
भाष्पवारि परिपूर्ण लोचनं

मारुतिं नमत राक्षसान्तकम् ।।
अर्थ :
जहां -जहां भगवान श्रीरघुनाथकी  संकीर्तन होता है, वहां शरणागत मस्तक, जुडे  हुए हस्त कमल और नेत्रोंमें भावपूर्ण आनंद अश्रुके साथ उपस्थित होते हैं , ऐसे राक्षसोंका संहार करनेवाले, श्रीहनुमानको हमारा कोटिश: प्रणाम !

 



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