आज का समाज जब परस्त्री को भोग की एक वस्तु की रूप में देख रहा है और कुछ नासमझ स्त्रीयां अपनी स्त्री सुलभ लज्जा को त्याग कर पैसे और ओछी पब्लिसिटी हेतु नंगा नाच कर रही है, ऐसे परिपेक्ष में पूज्य चेतन दास बाबा की यह सुवचन सुग्राह्य और योग्य दृष्टिकोण देती है |
“परस्त्री को यदि वासना की दृष्टि से देखोगे तो वह तुम्हारे बंधन का कारण बनेगी और जब उसे मातृशक्तिके रूप में देखोगे तो वे तुम्हारे मुक्ति का कारण बनेगी” |-तनुजा ठाकुर
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