सद्गुरु शिष्यकी कभी परीक्षा नहीं लेते क्योंकि उन्हें शिष्यकी क्षमताका पूर्ण भान होता है | शिष्यकी क्षमता और गुरुभक्तिका भान सब को हो अतः शिष्यको कठिनतम परिस्थितिमें डाल देते हैं और शिष्यको संपूर्ण गुरु-लीला का भान होता है अतः वह भी आनंदी होकर सब सहन करता है | इसलिए कहते हैं गुरु-शिष्यका संबंध अंतरंग होता है |-तनुजा ठाकुर
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