स्वस्थ शरीर, स्वस्थ मन, सात्त्विक बुद्धि, अल्प अहम् हेतु क्या करें ?


स्वस्थ शरीर हेतु – आयुर्वेदके अनुसार ऋतु अनुरूप पौष्टिक आहार ग्रहण करना, प्रतिदिन प्राणायाम एवं  योगासन  करना या २० मिनटके लिए व्यायाम या सैर करना चाहिए ।
स्वस्थ मन हेतु – अपने स्वभावदोषोंको न्यून कर समाप्त करने हेतु प्रयास करना चाहिए, इस हेतु अपनी चूकें प्रतिदिन अभ्यास पुस्तिका या दैनन्दिनीमें लिखकर उन दोषोंको न्यून करने हेतु स्वयंसूचना दें । यदि किसी चूकसे समष्टिको हानि हुई हो या एक ही चूक बार-बार हो रही हो तो उसका प्रायश्चित्त लें ।
मनको एकाग्र करनेका रामबाण उपाय है, नामजप; अतः उसे अधिकाधिक करें ।
विषय-वासनाओंसे स्वयंको मुक्त करने हेतु प्रत्याहार करें !
सात्त्विक बुद्धि हेतु – धर्मशास्त्रोंका अभ्यास कर, उसका चिन्तन कर, उसे अपने जीवनमें उतारें; अपनी बुद्धिका सदुपयोग समष्टि हितार्थ अधिक करें, जिससे धर्म और राष्ट्रका रक्षण हो, उसका संगोपन हो एवं ईश्वरीय कृपाका सम्पादन हो ।
अल्प अहम् हेतु – ईश्वरको कर्तापन अर्पण करते हुए सर्व कृति करें, प्रामाणिक रहें, अपनी चूकोंको सहजतासे स्वीकार करें, सुनने एवं सीखनेकी प्रवृत्तिमें सातत्य रखें ।



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