माता –पिता हमें जन्म देकर हमारा लालन-पालन करते हैं और उनकी ऋण हम उनकी सात जन्म सेवा कर भी चुका नहीं सकते | सद्गुरु हमें जन्म और मृत्यु के चक्र से निकाल हमें ईश्वरप्राप्ति कराते हैं, ऐसे सद्गुरुके ऋण से कोई शिष्य कैसे मुक्त हो सकता है | मात्र गुरुपूर्णिमा के दिन गुरुतत्त्व के महत्त्व को सामान्य जनमानस पर अंकित कर गुरुचरणों में अंश मात्र अपनी कृतज्ञता व्यक्त कर सकते हैं | -तनुजा ठाकुर
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