कपडे बदलना, छायाचित्र खिंचवाना, एक-दूसरेसे मिलना’,
ऐसी बातोंसे विवाहविधिकी निरंतरताको खंडित करनेवाले
तथाकथित हिंदु एवं उन्हें इस संदर्भमें कुछ बोध न देनेवाले पुरोहित !
विवाहमुहूर्तके उपरांत तत्काल कन्यादान विधि करनेसे आध्यात्मिक लाभ होता है; परंतु आजकल विवाहमुहूर्तके उपरांत कपडे बदलना, छायाचित्र खिंचवाना, एक-दूसरेसे मिलना, जैसी बातोंमें २-३ घंटे व्यतीत किए जाते हैं । उस समय कोई भी संबंधी यह नहीं कहता कि ‘अब बहुत छायाचित्र खिंचवा लिए, अब विधि शीघ्रातिशीघ्र आरंभ करें ।’ पुरोहित भी इस डरसे उन्हें कुछ नहीं कहते कि, यजमान हाथसे निकल जाएंगे ।
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