किसका नामजप करना चाहिए कुलदेव या कुलदेवीका?


केवल कुलदेव हों, तो उन्हींका नामजप करना चाहिए व केवल कुलदेवी हों, तो उनके नामका जप करना चाहिए ।
किसीके कुलमें कुलदेव एवं कुलदेवी दोनों ही हों, तो वह कुलदेवीका जप करे । इसका कारण इस प्रकार है – अपनी बाल अवस्थामें, माता-पिता दोनोंके होते हुए हम माताके साथ ही अधिक हठ करते हैं, क्योंकि मां हमारी हठको शीघ्र पूर्ण कर देती हैं । उसी प्रकार कुलदेवताकी अपेक्षा कुलदेवी शीघ्र प्रसन्न होती हैं ।
किसीके कुलदेवता गणेश, पंचायतन या विष्णु पंचायत हों तो पंचायतनके प्रमुख देवताको, अर्थात क्रमश: गणेश, या विष्णुको ही कुलदेवता मानें ।
कुलदेवता ज्ञात न हों, तो परिवारके वयस्क व्यक्ति, अपने उपनाम बन्धु, जाति बन्धु या गांवके व्यक्ति, या गांवके पुरोहित इत्यादिसे कुलदेवताकी जानकारी प्राप्त करनेका प्रयत्न करें । कुछ कुलकी वंशावली होती है, उसमें भी कुलदेवीके नामका उल्लेख रहता है ।
यदि कुलदेवता ज्ञात न हों तो ‘श्री कुलदेवतायै नमः’का जप करें या अपने मनपसंद देवताका नामजप करें । मनपसंद देवताका जप पूर्ण होनेपर कुलदेवताका नाम बताने वाले सन्त मिलते ही हैंं, अथवा गुरु स्वयं साधकके जीवनमें आकर गुरुमन्त्र देते हैं ।



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