वैदिक सनातन धर्ममें ऐसा क्यों ?


जपमालाका उपयोगके बारेमें व्यावहारिक सुझाव :
प्रत्येक व्यक्तिने अपने ही मालाका उपयोग करना चाहिए क्योंकि प्रत्येक व्यक्तिका जप , उनका आध्यात्मिक स्तर इत्यादि भिन्न होता है इसलिए, यदि सब एक ही मालाका उपयोग करेंगे, तो उनसे निकलने वाली तरंगें किसी-किसीके लिए कष्टप्रद हो सकती हैं |
केवल एक मालाका प्रयोग करना चाहिए | इसके उपयोगसे माला में शक्ति विकसित होते हैं और फलस्वरूप ऐसे मालासे जप करनेपर एकाग्रता बढ़ने में सहयता मिलती है |
यदि आध्यात्मिक कारणोंसे दो या तीन नामजप दिए गए हों, तो भी एक ही मालाके साथ जप करना चाहिए | नामजपके कारण उन आवश्यक स्पंदनोंके निर्माण मालामें होता है जो उस व्यक्तिके लिए लाभप्रद सिद्ध हो |
ध्यान रखें कि नामजपके मध्यमें मालाके मोती एक-दूसरेसे टकरायें नहीं; अतः उनके बीचमें एक गांठ बांध दें | शास्त्रोंके अनुसार, यदि एक मोतिकी एक ध्वनि दूसरीके साथ टकराती है तो ऐसा जप व्यर्थ कहलाता है |
जप आरम्भ करनेसे पूर्व मालापर गौ मूत्रका छिडकाव, या प्रोक्षण करें ततपश्चात मालाका पूजन करें व नमस्कार अर्पण करें |

* माला में 108 मोती क्यों होते हैं ?
* 33 कोइट देवी देवताओं में किसका नामजप करें ?
* नामजपके लाभ क्या है ?
* माला को गोमुख रूपी थैली में क्यों रखना चाहिए ?
उपर्युक्त प्रश्नोंके उत्तर और इस संदर्भमें और जानकारीके लिए पढ़ें:
‘सनातन संस्था’ द्वारा प्रकाशित ग्रंथ नामसंकीर्तनयोग ’
ग्रंथ पानेके लिए संपर्क करें – www.sanatan@sanatan.org
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http://www.hindujagruti.org/hinduism/knowledge/article/why-does-a-japamala-consist-of-108-beads.html



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