यह सम्पूर्ण संसार ईश्वर निर्मित है; अतः नामजप कहीं भी, कभी भी, किसी भी स्थितिमें किया जा सकता है | नामजप मनसे किया जाता है अतएव उसमें किसी प्रकारका बंधन लागू नहीं होता | पद्म पुराणमें कहा गया है
न देशनियमस्तस्मिन् न कालनियमस्तथा ।
नोच्छिष्टेऽपि निषेधोऽस्ति श्रीहरेर्नामिन् लुब्धक ।।
अर्थात् श्रीहरिके नाम-कीर्तनमें न तो किसी देश-विशेषका नियम है और न कालविशेषका ही । जूठे अथवा अपवित्र होनेपर भी नामोच्चारणके लिए कोई निषेध नहीं है । ध्यान रखें सूक्ष्म मनको हम और किसी भी माध्यमसे नियन्त्रित नहीं कर सकते हैं, इस हेतु कोई सूक्ष्म शस्त्र ही चाहिए और वह सूक्ष्म शस्त्र और माध्यम नामजप है | अनेक विचारोंमें रममाण रहनेवाला हमारा मनद्वारा यदि नामजप अखंड किया जाये तो हमारे मनका प्रवास अनेक विचारोंसे एक विचारकी और सहज ही हो जाता है और यह साध्य होनेपर मनुष्य जीवन सार्थक हो जाता है | – तनुजा ठाकुर
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