कोलकाता। पश्चिम बंगाल में ममता सरकार इस्लामीकरण की कोशिशों के साथ-साथ हिंदू प्रतीकों को मिटाने का काम भी जोर शोर से कर रही है। ममता सरकार ने इसी कोशिश के तहत स्कूल की पाठ्यपुस्तकों से भगवान राम का नाम हटा दिया है।
दरअसल आसमान में दिखने वाले सतरंगे इंद्रधनुष को बंगाल में ‘रामधनु’ कहा जाता है। सातवीं क्लास की किताब में इसके बारे में बताया गया है। ममता बनर्जी सरकार ने किताब के नए संस्करण में ‘रामधनु’ को बदलकर ‘रंगधनु’ कर दिया है।
अम्मा की जगह अम्मी, पापा की जगह अब्बा
बंगाली स्कूली किताबों में हिंदू परिवारों में मां-बाप के लिए इस्तेमाल होने वाले शब्द जैसे मम्मी या अम्मा को हटाकर अम्मी कर दिया गया है। इसी तरह पापा को हटाकर अब्बा कर दिया गया है। ये किताबें अब सभी धर्मों के बच्चों को पढ़ाई जाएंगी। ममता सरकार के इस फैसले से गुस्साएं लोग सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जता रहे हैं, लेकिन मुख्यधारा मीडिया इस मामले को दबाने की कोशिश में है।
इसके अलावा आसमान के रंग के लिए बांग्ला शब्द आकाशी को हटाकर आसमानी कर दिया गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि आसमानी उर्दू का शब्द है। बंगाल में बच्चों की किताबों में ऐसे तमाम बदलाव चोरी-छिपे चल रहे हैं। माना जा रहा है कि ममता बनर्जी सरकार इसके जरिए राज्य की संस्कृति और हिंदू धर्म के निशानों को पूरी तरह खत्म करने पर काम कर रही है।
ममता सरकार की सफाई
ममता बनर्जी सरकार ने इस सारे विवाद पर सफाई दी है और कहा है कि रामधनु का राम या लक्ष्मण से कोई लेना-देना नहीं है। यह धनुष रंगों का होता है इसलिएइसका नाम रंगधनु ही होना चाहिए। सवाल यह है कि वैसेतो यह धनुष भी नहीं होता, फिर क्यों न ‘धनु’ शब्द भी हटा दिया गया। पश्चिम बंगाल शिक्षा परिषद की दलील और भी अजीबोगरीब है। उनका कहना है कि हम नियमित रूपसे किताबों को अपडेट करते रहते हैं, उसी के तहत ऐसा किया गया है।
सौजन्यसे : http://www.saffronswastik.com/
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