आजके विद्यार्थियोंको साधना सिखानेकी नितांत आवश्यकता है


विद्यार्थी जीवनमें मनकी एकाग्रता और आत्मनियंत्रण (ब्रह्मचर्य), यह दोनों साध्य करनेके लिए आत्मबलकी आवश्यकता होती है । यह साधनाद्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है । आजके विद्यार्थियोंको साधनाकी नितांत आवश्यकता है, स्वतन्त्रता पश्चात हमारी निधर्मी सरकारने साधनाका महत्व आजके युवा मनपर अंकित नहीं किया, परिणामस्वरूप आज अनेक युवा व्यभिचार करते हैं, व्यसन करते हैं और अल्पायुमें हत्या, बलात्कार, जैसे जघन्य अपराधोंमें लिप्त होते दिखाई दे रहे हैं, यह सब अधर्म एवं साधनाके अभावका परिणाम है ।  – तनुजा ठाकुर



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