साधकोंकी क्षमताका ध्यान रखते हुए उन्हें सेवा एवं व्यष्टि साधनाके प्रयत्नके विषयमें बताएं !
प्रत्येक साधककी क्षमता भिन्न होती है । उस क्षमताका अभ्यास करनेके पश्चात् ही उत्तरदायी साधकोंको सेवा तथा व्यष्टि साधनाके प्रयत्न विषयक साधक बताएं । साधककी क्षमताका ध्यान न रखते हुए अल्पक्षमताके साधकोंको उनकी क्षमतासे अधिक सूत्र बतानेसे वे तनावग्रस्त होकर नकारात्मक स्थितिमें जाते हैं । क्षमताका ध्यान न रखते हुए साधकोंको सूत्र बतानेसे वे दूरी बना लेते हैं । आनन्दप्राप्ति ही सेवाका मुख्य उदेश्य है, यह ध्यान रखें !
उपरोक्त सूत्र संज्ञानमें लेते हुए अधिक क्षमतावाले साधकोंको सेवा विषयी सर्व सूत्र एक ही बारमें बता दें ! जिन साधकोंकी क्षमता अल्प है, उन्हें एक समयमें सभी सूत्र न बताते हुए, चरणबद्ध रूपसे सूत्र बताएं । – परात्पर गुरु डॉ . जयंत आठवले
Leave a Reply