दिनांक १९ फरवरी २०१७ को मुझे उत्तरप्रदेशके गाजियाबाद जनपदके बम्हेटा गांवमें व्याख्यान लेनेकी सेवाकी सन्धि मिली ।
उस दिवस जब मैं प्रातः १० बजे आश्रम पहुंचा एवं उसके थोडे समय पश्चात् जब धर्मसभा हेतु सभी आवश्यक सामग्री लेकर हम आश्रमसे प्रस्थान करके वाहनमें बैठे तो उसी समय मुझे अकस्मात् अत्यधिक स्वेद आने लगा । यद्यपि फरवरीके माहमें इतने स्वेदका आना सम्भव नहीं । मुझे इतना स्वेद आ रहा था जैसा मुझे किसीने स्नान करा दिया हो ।
इसके पश्चात् हमारे सहसाधक श्री रवि गोएलने वाहनका वातानुकूलित यन्त्र चला दिया; परन्तु बम्हेटा गांव पहुंचने तक जो कि आश्रमसे केवल २० मिनटकी दूरीपर है, मेरी स्थिति वैसी ही रही और मुझे निरन्तर स्वेद आता रहा और वमन हो जाएगा, ऐसा भी लगने लगा । कुछ समय पश्चात् जब हम व्याख्यान स्थलपर पहुंचे जो एक मन्दिरमें आयोजित था । वहां पहुंचकर मंचपर जब मैंने भगवान् शिवसे प्रार्थनाकी तो कुछ क्षण पश्चात् मुझे आभास हुआ कि मेरी स्थिति पूर्णतः सामान्य हो गई थी एवं स्वेद आना भी बन्द हो गया था ।
इसीप्रकारकी कष्टप्रद अनुभूति मुझे ख्रिस्ताब्द २०१४ की गुरुपूर्णिमाके दिवस भी अलीगढ जाते समय हुई थी । – श्री यशपाल शर्मा, देहली ( २५.२.२०१७)
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