बांग्लादेश: इमारत में ISIS के तीन बम धमाके, 6 की मौत, 50 से ज़्यादा जख्मी


ढाका: बांग्लादेश के सिलहट में एक भवन में छिपे इस्लामी आतंकवादियों का सफाया करने में शीर्ष कमांडो अंतिम तैयारी कर रहे हैं. कुछ घंटे पहले इमारत परिसर के बाहर इस्लामिक स्टेट के बम धमाकों में छह लोगों की मौत हो गयी जबकि 50 से अधिक लोग घायल हो गये.एक पुलिस अधिकारी ने मौके पर संवाददाताओं से कहा, ‘इस भवन के आसपास लोगों के आने पर रोक लगाते हुए वहां पाबंदी लगा दी गयी है क्योंकि आतंकवादियों का सफाया करने की अंतिम तैयारी चल रही है.’ डेली स्टार ने मौके पर मौजूद अपने फोटो पत्रकार के हवाले से खबर दी है कि पांच मजिले ‘अतिया महल’ में सुबह नौ बजकर 57 मिनट से कम से कम तीन धमाकों की आवाज सुनाई पड़ी हैं. समीप में एक बड़ा धमाका होने से भवन एक तरफ थोड़ा झुक गया है.

अंतिम तैयारी में जुटी सेना

गोलियां चलाने की आवाज भी सुनाई पड़ी. लेकिन फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि कौन गोलियां चला रहा है, उधर सेना आतंकवादियों के सफाये की अंतिम तैयारी में जुटी है. सिलहट स्थित 17 वीं इंफैंट्री डिवीजन के मेजर जनरल अनवारूल मोमेन ‘ट्वाइलाइट’ नामक अभियान की अगुवाई कर रहे हैं जिसमें पुलिस की ‘स्वात’ इकाई एवं आतंकवाद निरोधक इकाइयां मदद कर रही हैं. शीर्ष रैपिड एक्शन बटालियन भी इस अभियान में शामिल है.

तीन दिनों से सुरक्षा घेराबंदी

फिलहाल यह स्पष्ट नहीं है कि क्या ये विस्फोट भवन में छिपे आतंकवादियों द्वारा किये गये बम हमले थे? चश्मदीदों ने बताया कि गोलियां चलाने और धमाकों की रुक-रुक कर आवाज सुनाई पड़ रही है जो इस बात का संकेत है कि आतंकवादी सुरक्षा घेराबबंदी का जवाब दे रहे हैं. यहां तीन दिनों से सुरक्षा घेराबंदी है.

आतंकवादियों की संख्या का पता नहीं

अधिकारियों ने बताया कि यह स्पष्ट नहीं हैं कि इमारत में कितने आतंकवादी है लेकिन वहां शीर्ष आतंकवादी नेता जरूर है. आतंकवाद निरोधक एवं सीमापार अपराध (सीटीटीसी) प्रमुख मोनिरूल इस्लाम ने शनिवार को बताया कि उन्हें सूचना मिली थी कि जेएमबी प्रमुख मूसा अपने दूसरे साथियों के साथ सिलहट में है लेकिन यह स्पष्ट नहीं कि वे इमारत के भीतर हैं अथवा नहीं.

ढाका हमले में गई थी 22 की जान

ढाका कैफे में एक जुलाई को जो हमला हुआ था उसके पीछे नियो.जेएमबी का हाथ था जिसके झुकाव इस्लामिक स्टेट के प्रति बताया जाता है. इस हमले में 17 विदेशियों सहित 22 लोगों की जान चली गयी थी.

दो धमाके हुए

शनिवार को अतिया महल से करीब 400 मीटर की दूरी पर शाम सात बजे पहला धमाका हुआ था. इमारत में छिपे आतंकवादियों ने पुलिसकर्मियों को निशाना बनाया. ढाका ट्रिब्यून ने सिलहट मेट्रोपोलिटन पुलिस एडीसी जेदान अल मूसा के हवाले से बताया कि यह धमाका आत्मघाती था. दूसरा धमाका एक घंटे बाद इस भवन के बाहर हुआ. इन दोनों धमाकों में दो पुलिस अधिकारियों समेत छह लोगों की जान चली गयी. मरने वालों में दो पुलिस निरीक्षक, कॉलेज के दो छात्रों सहित चार राहगीर शामिल थे.

इस्लामिक स्टेट ने ली जिम्मेदारी

कुछ घंटे बाद इस्लामिक स्टेट ने अपनी संवाद समिति ‘अमाक’ के मार्फत इस हमले की जिम्मेदारी ली. उसने कहा कि इस हमले के निशाने पर सुरक्षाबल थे. यह बांग्लादेश में आठ दिनों में तीसरा हमला था जिसकी जिम्मेदारी आईएसआईएस ने ली. हालांकि गृह मंत्री असादुज्जमां खान ने आईएआईएस के दावे का खंडन किया है और कहा कि बांग्लादेश में कोई विदेशी आतंकवादी संगठन नहीं है.

असादुज्जमां खान ने बताया कि एक शीर्ष आतंकवादी इस महल में छिपा है और कार्रवाई जारी है लेकिन उन्होंने यह भी जोड़ा कि ‘हम इस अभियान के समापन से पहले कुछ नहीं कह सकते.’ शीर्ष रैपिड एक्शन बटालियन की खुफिया शाखा प्रमुख लेफ्टिनेंट कर्नल अबुल कलाम इन विस्फोटों में गंभीर रूप से घायल हो गए और उन्हें इलाज के लिए ढाका ले जाया गया. डॉक्टरों ने बताया कि अकेले सिलहट के एक बडे सरकारी अस्पताल में 50 से अधिक घायलों का इलाज किया गया.

एक घायल व्यक्ति के हवाले से बीडीन्यूज 24डॉट कॉम ने बताया कि पहले विस्फोट के बाद जब आरएबी और पुलिसकर्मी मौके पर पहुंचे तब दूसरा धमाका हुआ. सीटीटीसी के सहायक आयुक्त रहमतुल्ला चौधरी ने बताया कि अब भी इमारत में कई बम हो सकते हैं.

घटनास्थल के पास धारा 144

एक पुलिस अधिकारी ने संवाददाताओं से कहा, ‘लोगों के हताहत होने के बाद सुरक्षा घेरे के आसपास लेागों के आने पर रोक लगाते हुए हमने आज (रविवार, 26 मार्च) धारा 144 लगा दी है.’’ ढाका के अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर शुक्रवार की रात को एक आत्मघाती बम हमलावर के विस्फोट कर खुद के उड़ा लेने के बाद ट्वीलाइट अभियान शुरू किया गया था. इस हमले की जिम्मेदारी आईएसआईएस ने ली थी. उसके एक हफ्ते पहले ढाका मे आरएबी कैंप पर ऐसा ही हमला हुआ था.

पुलिस ने चटगांव के बाहरी इलाके में दो आतंकवादी ठिकानों को ध्वस्त करने के हफ्ते के अंदर ही सिलहट में इस ठिकाने का पता लगाया था. बांग्लादेश में 2013 से ही धर्मनिरपेक्ष कार्यकर्ताओं, विदेशियों और धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हमले हो रहे हैं. देश ने ढाका कैफे हमले के बाद आतंकवादियों पर सघन कार्रवाई शुरू की है.

सौजन्यसे : http://zeenews.india.com



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