पुरोहित बनने हेतु क्या करना चाहिए ?


जन्म ब्राह्मणोंसे सम्बन्धित मेरे कुछ लेखोंको पढनेके पश्चात एक परिचित जन्म-ब्राह्मणने हमसे पुरोहित बननेकी इच्छासे पूछा है कि क्या पुरोहिताईकी कोई पुस्तक होती है ? क्या मैं उसे पढकर पुरोहित बन सकता हूं ?, इस प्रश्नका उत्तर इसप्रकार है –
पुरोहित बनने हेतु मात्र कर्मकाण्डके ग्रन्थ पढना पर्याप्त नहीं होता; चूंकि वह कोई चाकरी नहीं, अपितु ईश्वरप्राप्तिका एक माध्यम है; अतः उसके लिए कुछ महत्त्वपूर्ण घटकोंका उस साधकमें होना आवश्यक है, जो इसप्रकार है –
१. पुरोहितको यज्ञोपवीत धारण करना चाहिए, यदि किसीका यज्ञोपवीत संस्कार हो चुका हो और वह जनेऊ धारण करना छोड चुका हो तो उसे कर्मकाण्ड अन्तर्गत प्रायश्चितकी विधिकर, पुनः यज्ञोपवीत धारणकर, उससे सम्बन्धित सभी आचारधर्मोंका कठोरतासे पालन करना चाहिए ! यह मैं इसलिए बता रही हूं; क्योंकि मैंने पाया है कि उत्तर भारतके अनेक जन्म-ब्राह्मण यज्ञोपवीत संस्कार होते हुए भी उसका परित्याग कर चुके होते हैं । (जिन्होंने यह प्रश्न पूछा है, वे भी इसी श्रेणीमें आते हैं)
२. यदि किसी जन्म-ब्राह्मणने मद्यपान किया हो तो उसके लिए भी शास्त्र अनुसार प्रायश्चित करना चाहिए; क्योंकि उपनयनधारी ब्राह्मणोंके लिए मद्यपान करना महापाप है, ऐसे ब्राह्मणोंको शास्त्रोंमें ‘चाण्डाल ब्राह्मण’की उपमा दी गई है ।
३. उसे शुद्ध हिन्दी एवं शुद्ध संस्कृत भाषाका उच्चारण करना आना चाहिए, यह भी मैं इसीलिए बता रही हूं; क्योंकि उत्तर भारतके अधिकांश पण्डितोंके (७०%) संस्कृतके उच्चारण अशुद्ध होते हैं और मन्त्रोंके अशुद्ध उच्चारणसे धार्मिक विधिमें देवताके तत्त्व आकृष्ट नहीं होते हैं; अतः पुरोहितोंको भाषा शुद्धि एवं विशेषकर मन्त्रोंके उच्चारणोंपर अत्यधिक ध्यान देना चाहिए ।
४. उपनयनधारी ब्राह्मणोंके आचार-विचार एवं कर्म सात्त्विक होने चाहिए, तभी उनकेद्वारा किए गए पूजा-पाठ, यज्ञकर्म इत्यादि फलदायी होते हैं ।
५. उन्होंने प्रतिदिन शास्त्रोंका अभ्यास न्यूनतम दोसे चार घण्टेतक अवश्य करना चाहिए ।
६. उनकी व्यष्टि साधनाका आधार पुष्ट होना चाहिए ! खरे अर्थोंमें ६०% आध्यात्मिक स्तरके पश्चात ही पुरोहितोंमें संकल्प करनेकी शक्ति निर्माण होती है और धार्मिक विधियोंके मध्य अनेक बार संकल्प करनेकी आवश्यकता पडती है । वैसे यदि किसी साधकमें भाव हो तो ५०% आध्यात्मिक स्तरपर भी वह पूजन इत्यादिका कार्य भावपूर्वक करवानेकी क्षमता रखता है ।
७. वह वेदपाठी होना चाहिए; क्योंकि अनेक धार्मिक विधियोंमें वैदिक मन्त्रोंका प्रयोग किया जाता है ।
इसप्रकार एक सात्त्विक पुरोहित बनना, एक तेजस्वी साधक बननेके समान है और इस हेतु मात्र किसी ग्रन्थका पठन करना पर्याप्त नहीं होता; इसीलिए भारतमें अनेक स्थानोंपर पुरोहित पाठशालाएं एवं विद्यापीठ हैं, जहां पुरोहित बनने हेतु यथोचित शास्त्र एवं धर्माचरण सिखाए जाते हैं । भविष्यमें ‘वैदिक उपासना पीठ’द्वारा भी ‘सनातन संस्था’ समान सात्त्विक पुरोहित पाठशाला आरम्भ करनेकी योजना है; क्योंकि उत्तर भारतमें सात्त्विक पुरोहितोंका अत्यधिक अभाव है । – तनुजा ठाकुर



One response to “पुरोहित बनने हेतु क्या करना चाहिए ?”

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