भारत में सिर्फ 3 करोड़ 25 लाख लोग ही इनकम टैक्स देते हैं


अब हम Income Tax Department के नये आंकड़ों का DNA टेस्ट करेंगे.. कोई देश कितना ईमानदार है इसकी पहचान दो बातों से तय होती है.. पहली… उस देश के राजनेताओं के दामन पर…. भ्रष्टाचार के कितने दाग हैं और दूसरी….उस देश की जनता कितनी ईमानदारी से Income Tax चुकाती है.. हमारे देश में अकसर लोग नेताओं के भ्रष्ट चरित्र के बारे में लंबी-लंबी चर्चाएं करते हैं.. किस राजनैतिक पार्टी ने कब और कितना भ्रष्टाचार किया… ये सारे रिकॉर्ड लोगों को मुंहजुबानी याद होते हैं.. लेकिन जब ऐसे लोगों से उनकी Income Tax चुकाने वाली ईमानदारी पर सवाल किये जाते हैं तो वो ख़ामोश होकर अपना रास्ता बदल लेते हैं.. हमारे देश की जनता को लगता है कि ईमानदारी…… नेता, सरकार और सिस्टम की ज़िम्मेदारी है.. इससे उनका कोई विशेष लेना देना नहीं है.. ऐसे लोगों से ये कहना बहुत आवश्यक है कि दूसरों के पाप गिनाने से आपके ख़ुद के पाप कम नहीं हो जाते हैं.. इसमें कोई शक नहीं है कि हमारे सिस्टम में भ्रष्टाचार के Virus की मात्रा बहुत ज़्यादा है लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि करप्शन वाले Virus…. आपकी सोच को प्रदूषित कर दें..

यहां आपको ये समझना चाहिए कि एक आम आदमी को Income Tax उन सुविधाओं के लिए चुकाना चाहिए जो उसे देश के नागरिक होने की हैसियत से मिलती हैं .. लेकिन हमारे देश में लोगों का ध्यान टैक्स चुकाने पर नहीं बल्कि टैक्स की चोरी करने पर ज्यादा होता है और यही वजह है कि भारत की कुल आबादी में से सिर्फ 2.5 फीसदी लोग ही टैक्स चुकाते हैं .. आपको जानकर हैरानी होगी कि 133 करोड़ जनसंख्या वाले देश….भारत में सिर्फ़ 3 करोड़ 25 लाख लोग ही Income Tax देते हैं यानी देश के 133 करोड़ लोगों का बोझ.. सिर्फ़ सवा तीन करोड़ लोगों के कंधों पर हैं.

वर्ष 2015-16 में सिर्फ़ 4 करोड़ 7 लाख लोगों ने अपना Income Tax Return भरा .. जो भारत की जनसंख्या का सिर्फ 3.1 प्रतिशत है .. हैरानी की बात ये है कि इन 4 करोड़ 7 लाख लोगों में से 82 लाख लोग….. ऐसे हैं जिनकी आमदनी पर कोई टैक्स नहीं बनता.. भारत में फिलहाल 2 लाख 50 हज़ार रुपये की वार्षिक आय वाले लोगों को कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है.. यहां हम एक बात साफ कर देना चाहते हैं कि Income Tax Return भरने का मतलब ये नहीं है कि लोगों ने Income Tax चुकाया है.. इसलिए आपने देखा होगा कि Income Tax Return भरने वालों के मुकाबले असलियत में Income Tax चुकाने वालों की संख्या कम होती है..

वर्ष 2015-16 में 2 करोड़ 15 लाख लोगों ने अपनी वार्षिक आय.. ढाई लाख से 5 लाख रुपये के बीच दिखाई.. जबकि देश में सिर्फ 81 लाख लोग ऐसे हैं जो अपनी वार्षिक आय 5 लाख से 10 लाख रुपये के बीच दिखाते हैं.. और सिर्फ 29 लाख 50 हज़ार लोग ऐसे हैं जिन्होंने अपनी वार्षिक आय 10 लाख रुपये से ज़्यादा दिखाई है.. अब आप सोचिए कि जिस देश में सिर्फ साढ़े 29 लाख लोगों की वार्षिक आय 10 लाख रुपये है या उससे ज़्यादा है.. उस देश में पिछले 5 वर्षों में करीब 1 करोड़ 20 लाख कारें बेची गई हैं.. ये अपने आप में एक बहुत बड़ा विरोधाभास है.. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इस बात पर सवाल उठाए थे.. आज आपको एक बार फिर प्रधानमंत्री की उस बात पर गौर करना चाहिए

यहां आपके लिए ये जानना भी ज़रूरी है कि नोटबंदी के बाद वर्ष 2016-17 में भारत सरकार ने 15 प्रतिशत ज़्यादा इनकम टैक्स इकठ्ठा किया है.. यानी नोटबंदी के बाद टैक्स देने वालों की संख्या बढ़ी है.. लेकिन संख्या बढ़ने के बावजूद हमारा सिस्टम बहुत पीछे है.. यहां सरकार की भूमिका पर भी बात करना बहुत ज़रूरी है क्योंकि Income Tax के मामले में ताली एक हाथ से नहीं दोनों हाथों से बजती है.. बहुत सारे लोग ये सवाल उठाते हैं कि आखिर वो टैक्स क्यों दें ? क्योंकि उन्हें सरकार से मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिलतीं..

पिछले 70 वर्षों में हमारे देश में तमाम पार्टियों की सरकारें आईं.. लेकिन वो लोगों को चौबीस घंटे बिजली उपलब्ध नहीं करवा पाईं, इसलिए आम लोगो को Generators या Inverters खरीदने पड़े.. सरकारें आम आदमी को सुरक्षा नहीं मुहैया करवा पातीं, इसलिए लोग प्राइवेट security Guards रखते हैं.. हमारे देश में सरकारें… लोगों को अच्छी शिक्षा मुहैया नहीं करवातीं, इसलिए लोगों ने Public या Private Schools बनाए हैं ..

इसी तरह हमारी सरकारें अपने लोगों को परिवहन के अच्छे साधन नहीं दे पाईं, इसीलिए लोगों को कारें खरीदनी पड़ती हैं.. अगर पब्लिक ट्रांसपोर्ट का स्तर अच्छा हो.. तो लोगों को अपने प्राइवेट वाहन लेने की ज़रूरत नहीं पड़ती.. देश की सरकारें.. अब तक लोगों को अच्छे अस्पताल नहीं दे पाई हैं, जिसकी वजह से आम लोगों को प्राइवेट अस्पतालों की ज़रूरत पड़ती है…. अगर सरकारी अस्पतालों में भी उतनी ही सुविधाएं मिलतीं… तो शायद प्राइवेट अस्पतालों की ज़रूरत ही नहीं पड़ती और वहां लोगों को मामूली बुखार होने पर 16 लाख रूपये के भारी-भरकम बिल भी नहीं चुकाने पड़ते..

अमेरिका में कई ऐसी जगहें हैं जहां प्राइवेट अस्पताल होते ही नहीं हैं.. वहां सरकारी अस्पताल इतने सक्षम हैं कि किसी और की ज़रूरत ही नहीं पड़ती..गाड़ी खरीदते वक़्त लोगों से रोड टैक्स लिया जाता है.. लेकिन उन्हें अच्छी सड़कें नहीं मिलतीं.. लोगों की ये आपत्तियां जायज़ हैं… और इन समस्याओं को दूर करना सरकारों का काम है.. अगर सरकारों ने ठीक से काम किया होता.. तो आज ये नौबत नहीं आती.. लेकिन सरकारों पर सवाल उठाने से लोगों की खुद की ज़िम्मेदारी खत्म नहीं हो जाती..

यहां आपको अमेरिका में टैक्स COLLECTION से जुड़े आंकड़े पर भी गौर करना चाहिए. 32 करोड़ की जनसंख्या वाले अमेरिका में करीब 14 करोड़ नागरिक अपना income tax चुकाते हैं .. यानी वहां करीब 44 प्रतिशत लोग इनकम टैक्स देते हैं.. ज़रा सोचिए अमेरिका में 44 प्रतिशत और भारत में सिर्फ ढाई प्रतिशत लोग टैक्स चुकाते हैं..

अमेरिका का उदाहरण ये बताता है कि उसके नागरिक अपने कर्तव्य को लेकर कितने सजग हैं और वहां कि सरकारें अपनी जनता को बेहतर सुविधा देना अपनी ज़िम्मेदारी समझती हैं..  देश की सरकारें और देश की जनता चाहे तो अमेरिका से Income Tax चुकाने की भावना सीख सकती है.. यकीन मानिये ईमानदारी से चुकाया गया Income Tax सच्ची देशभक्ति का सबूत है.



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