वर्ष २०२३ से हिन्दू राष्ट्रकी स्थापनाका कार्य आरम्भ हो जायेगा । उच्च पदोंपर योग्य व्यक्तिको पदासीन करनेकी भी प्रक्रिया आरम्भ हो जाएगी । जिस व्यक्तिमें अधिक साधकत्व होगा, जिसका राष्ट्र और धर्मके लिए अधिक त्याग होगा, जिसकी सूक्ष्म इन्द्रियां अधिक विकसित होगी, उन्हींको उच्च राष्ट्रीय एवं सामाजिक पदोंपर आसीन किया जाएगा । क्योंकि राम राज्य सामान हिन्दू राष्ट्रमें वृहद स्तरपर सूक्ष्म अध्यात्मशास्त्र और धर्मके सिद्धांतोंके अनुसार सर्व विधानोंको क्रियान्वित करने होंगे । प्रत्येक कर्म एक देव अनुष्ठान होगा; अतः कार्य अनुरूप उस क्षेत्रके विशेष देवता तत्त्वको कार्यरत करने हेतु सूक्ष्मका ज्ञान होना आवश्यक होगा ।
सूक्ष्म इन्द्रियोंके जागृत होनेसे उच्च पदस्थ सभी शासक एवं प्रशासक वर्गकी मानसिक एकरूपता होगी, इससे राष्ट्ररचनाके कार्यको गति मिलेगी एवं सम्पूर्ण विश्वमें हिन्दू धर्मका साम्राज्य फैलेगा, इतने व्यापक स्तरपर कार्य करने हेतु ईश्वरीय अनुसंधानमें रहकर सूक्ष्मसे ईश्वरीय सन्देशको प्राप्त कर समाज और राष्ट्रको दिशा दी जायेगी । आजके बहिर्मुख लोगोंके सामान एक-दूसरेको नीचा दिखाना, दोषारोपण करना, अपनी स्वार्थसिद्धि करना ये सब दुर्गुण नहीं होंगे ।
अतः आनेवाले स्वर्णिम कालमें राष्ट्र और धर्महित हेतु कार्य करनेवाले लोगोंके लिए सूक्ष्म इन्द्रियोंका जागृत होना अति आवश्यक है ।
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