‘भाजपाने हिन्दुत्वकी पीठमें छुरा घोंपा, कोई वचन नहीं निभाया’ : शिवसेना


सितम्बर ११, २०१

शिवसेनाने मंगलवारको भाजपापर लक्ष्य साधते हुए कहा कि वह ‘हिन्दुत्वकी सीढियां’ चढकर सत्तामें आई; लेकिन उद्देश्योंकी पूर्ति हो जानेके पश्चात उसने इसे फेंक दिया ! भाजपापर ‘हिन्दुत्वकी पीठमें छुरा घोंपने’का आरोप लगाते हुए उद्धव ठाकरेने कहा कि हिन्दुओंसे किया गया एक भी वचन अबतक पूरा नहीं किया गया है ।
दलने अपने मुखपत्र ‘सामना’के सम्पादकीयमें कहा कि कांग्रेसने ‘कम से कम’ इतने वर्षोंतक मुसलमानोंको प्रसन्न करने का प्रयास किया; लेकिन भाजपा हिन्दुओंका ध्यान रखनेके स्थानपर उन्हें धर्मनिरपेक्ष बनानेमें लगी हुई है । शिवसेनाने दावा किया कि हिन्दू आज निराश हैं । दलने आरोप लगाया कि भाजपाने उसी प्रकारसे हिन्दुओंका प्रयोग किया, जैसे कांग्रेसने मुसलमानोंका !

‘सामना’ने कहा कि हिन्दुओंसे किया गया एक भी वचन भाजपाने अब तक पूर्ण नहीं किया है, चाहे वह राम मन्दिर हो या समान नागरिक संहिता ह ।  यह सब भाजपाके आक्रामक हिन्दुत्व प्रारूपमें था; लेकिन यह आक्रामकता सत्तामें आने से पूर्व थी, जिसकी हवा निकल गई । केन्द्र और महाराष्ट्रमें भाजपाकी सहयोगी शिवसेनाने कहा, ‘‘भाजपा कांग्रेसकी भांति हो गई है । देशकी कांग्रेससे कांग्रेस तकका यात्रा आरम्भ हो गई है ।’’ शिवसेनाने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवतको भी उनके उस वक्तव्यके लिए आडे हाथ लिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि हिन्दुओंकी वर्चस्वकी कोई आकांक्षा नहीं है । शिवसेनाने कहा कि उनसे अपेक्षा थी कि वह देशके वर्तमान स्थितिके बारेमें बोलेंगे, जहां हिन्दुओंको आतंकवादी बताया जा रहा है और उन्हें समाप्त करनेका प्रयास किया जा रहा है ।

शिकागोमें गत शुक्रवारको द्वितीय विश्व हिन्दू कांग्रेसको सम्बोधित करते हुए भागवतने कहा था कि हिन्दुओंकी वर्चस्वकी कोई आकांक्षा नहीं है । उन्होंने हिन्दुओंसे आह्वान किया था कि वे एकजुट हों और स्वयंको संगठित करें । शिवसेनाने कहा कि नरेन्द्र मोदी केवल इसलिए प्रधानमन्त्री बने, क्योंकि हिन्दू एकसाथ आए और आक्रामक हुए; लेकिन साथ आने और इस आक्रामकतासे क्या लाभ हुआ ? ‘सामना’ने लिखा है, ‘‘शिवसेनाके साथ गठबन्धन तोडकर हिन्दुत्वकी पीठमें छुरा घोंपा गया और जो लोग हिन्दुत्व और देशके पक्षमें आक्रामक रूपसे बोलते हैं, उन्हें भाजपाद्वारा शत्रु करार दिया जाता है !’’ सत्तामें बैठे नकली हिन्दुत्ववादी आज आक्रामक हिन्दुत्वकी आवाजको दबानेकी आकांक्षा रखते हैं और अपने ही देशमें हिन्दुओंको आतंकवादी बताकर समाप्त करनेमें लगे हुए हैं !’’


सामनाने लिखा है कि शिवसेनाकी भांति अन्य संगठन भी अपनी क्षमताओंके अनुसार हिन्दुओंके लिए कार्य कर रहे होंगे । उन्हें भी विश्व हिन्दू कांग्रेसमें स्थान दिया जाना चाहिए था । यदि हिन्दू धर्मको साथ आना है, तो यह छुआछूत क्यों ?’’ शिवसेनाने दावा किया कि नेपाल से हिन्दुत्व समाप्त हो गया, जबकि भारतीय प्रधानमन्त्री ‘मौन’ रहे और हिमालयी देश चीन और पाकिस्तान शकी ‘मांद’ बन गया है ! सम्पादकीयमें कहा गया है, ‘‘कश्मीरमें आक्रामक होना तो दूर, हिन्दू राष्ट्र’के लोग हिन्दू विरोधी और पाकिस्तान समर्थक महबूबा मुफ्तीसे प्रेम करने लगे और कश्मीरी पण्डितोंसे विश्वासघात किया ! जब यह सब हो रहा था तो हमें मोहन भागवतसे तीखी प्रतिक्रिया की अपेक्षा की थी !’’

 

“जिस हिन्दुत्व और गोरक्षाका आश्रय लेकर भाजपा सत्तामें आई, उसी हिन्दुत्वको द्वितीय श्रेणीका बना और गोरक्षकोंको गुण्डा बता, क्या भाजपा सत्ताकी कल्पना कर सकती है ? अब तो केवल हिन्दू राष्ट्र ही अपरिहार्य है, जिसमें किसी दलका कोई कार्य नहीं होगा !” – सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ

 

स्रोत : जनसत्ता



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