अभियोग लम्बित होनेके पश्चात् भी राम मंदिर निर्माणके लिए विधान बना सकती है सरकार !


नवम्बर ३, २०१८

उच्चतम न्यायालयके पूर्व न्यायाधीश जस्ती चेलमेश्वरने शुक्रवारको कहा कि उच्चतम न्यायालयमें प्रकरण लम्बित होनेके पश्चात् भी सरकार राम मन्दिर निर्माणके लिए विधान बना सकती है । उन्होंने कहा कि विधायी प्रक्रियाद्वारा न्यायलयके निर्णयमें अवरोध पैदा करनेके उदाहरण पहले भी रहे हैं ।

न्यायमूर्ति चेलमेश्वरने यह टिप्पणी ऐसे समयमें की है, जब अयोध्यामें राम मन्दिर निर्माणका मार्ग प्रशस्त करनेके लिए एक विधान बनानेकी मांग संघ परिवारमें बढती जा रही है । कांग्रेससे जुडे संगठन ‘ऑल इंडिया प्रोफेशनल्स कांग्रेस’की ओरसे आयोजित एक परिचर्चा सत्रमें न्यायमूर्ति चेलमेश्वरने यह टिप्पणी की ।

इस वर्षके आरम्भमें न्यायमूर्ति चेलमेश्वर उच्चतम न्यायालयके उन चार वरिष्ठ न्यायाधीशोंमें सम्मिलित थे, जिन्होंने संवाददाता सम्मेलन कर तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्राके कार्यके ढंगपर प्रश्न उठाए थे ।

शुक्रवारको परिचर्चा सत्रमें जब चेलमेश्वरसे पूछा गया कि उच्चतम न्यायालयमें मामला लम्बित रहनेके मध्य क्या संसद राम मंदिरके लिए विधान पारित कर सकती है, इसपर उन्होंने कहा कि ऐसा हो सकता है । उन्होंने कहा, ‘‘यह एक पहलू है कि वैधानिक रूपसे यह हो सकता है (या नहीं) । दूसरा यह है कि यह होगा (या नहीं) । मुझे कुछ ऐसे प्रकरण ज्ञात हैं, जो पहले हो चुके हैं, जिनमें विधायी प्रक्रियाने उच्चतम न्यायालयके निर्णयोंमें अवरोध पैदा किया था ।’’

चेलमेश्वरने कावेरी जल विवादपर उच्चतम न्यायालयका आदेश पलटनेके लिए कर्नाटक विधानसभाद्वारा एक विधान पारित करनेका उदाहरण दिया । उन्होंने राजस्थान, पंजाब एवं हरियाणाके मध्य अंतर-राज्यीय जल विवादसे जुडी ऐसी ही एक घटनाका भी वर्णन किया । उन्होंने कहा, ‘‘देशको इन चीजोंको लेकर बहुत पहले ही खुला रवैया अपनाना चाहिए था । यह (राम मंदिरपर विधान) सम्भव है, क्योंकि हमने इसे उस समय नहीं रोका ।’’

 

“जब सर्वोच्च न्यायालयके पूर्व न्यायाधीश कह यहे है कि इच्छा शक्तिके बलपर न्यायालयके निर्णयके विरुद्ध शासन विधान बना सकती है और इससे पूर्व भी अनुसूचित जाति-जनजाति अधिनियममें सब देख चूके हैं तो सरकार इसपर विधान क्यों नहीं बना रही ? यह प्रश्न सभी हिन्दुत्वनिष्ठोंके मनमें है ।”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ

 

स्रोत : जी न्यूज



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