विवाह, मध्यरात्रिकी अपेक्षा दिनमें या ब्रह्म मुहूर्तमें करना चाहिए । रात्रिका काल तमोगुणी होनेके कारण उस समय किया गया शुभ कार्य फलित नहीं होता; इसलिए विवाहका मुहूर्त दिनमें निकालकर विवाह करना अधिक उचित होता है । भारतके कुछ स्थानोंमें ब्रह्म मुहूर्तमें सिन्दूर-दानका कृत्य किया जाता है, तब भी शेष कार्यक्रम रात्रिमें होता है, जो अध्यात्मकी दृष्टिसे अनुचित है । जो प्रचलित है, उसके पीछेका आधारभूत शास्त्र जानकर, उसे करनेकी प्रवृत्ति निर्माण होना आवश्यक है और इस वृत्तिकी आजके हिन्दू समाजमें प्रवृत्ति नहीं है, यही हिन्दू धर्मके पतनका एक मुख्य कारण भी है ।
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