दाह- संस्कार हेतु मृत शरीरको ले जाते समय ‘राम नाम सत्य है’ क्यों कहते हैं ?
मृत्युके उपरान्त पञ्च-प्राण देह छोड ब्रह्माण्डमें विलीन हो जाते हैं, जिनकी साधना और पुण्याई अच्छी होती है, उन्हें त्वरित गति मिलती है और वे मृत्यु उपरान्तकी यात्रा तय करने हेतु अपने आगेका प्रवास आरम्भ कर देते हैं; परन्तु कलियुगमें अधिकांश व्यक्तियोंकी साधना इतनी प्रगल्भ नहीं होती और मृत्युके उपरान्त अचानक ही शरीरको न पाकर कुछ लिंगदेह अपनी वासनाकी तृप्ति हेतु दूसरे शरीरमें प्रवेश करनेका प्रयास करने लगती हैं और ऐसेमें उनके आस-पास उपस्थित व्यक्तिमें वे सरलतासे प्रवेश कर सकती हैं; अतः रामका नाम लेनेसे प्रेतस्थलपर उपस्थित व्यक्तिके ऊपर कवच निर्माण होता है और उनका रक्षण होता है । साथ ही, लिंगदेह और मृत देहसे प्रक्षेपित होने वाली काली शक्तिसे भी रक्षण होता है । रामनामके उच्चारणसे मृत देहपर भी कवच निर्माण होता है एवं सूक्ष्म जगतकी बलाढ्य आसुरी शक्तियोंसे उसका रक्षण होता है, परन्तु कालानुसार पितरोंके कष्टसे सम्पूर्ण मानव जाति अत्यन्त पीडित है; अतः वर्तमान समयमें ‘श्री गुरुदेव दत्त’का जप करना चाहिए ।
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