पितरोंके छायाचित्र घरमें क्यों नहीं रखने चाहिए ?, इसका शास्त्र जान लें । किसी भी छायाचित्र अर्थात रूपके साथ उससे सम्बन्धित शब्द, स्पर्श, गंध, रस और शक्ति सहवर्ती होती हैं; अतः यदि पूर्वजको गति नहीं मिली हो तो उस छायाचित्र से काली शक्ति घरमें उसी प्रकार प्रक्षेपित होती है, जैसे किसी देवतासे चैतन्ययुक्त कल्याणकारी शक्ति प्रक्षेपित होती है । अतृप्त पितरोंसे प्रक्षेपित होनेवाली नकारात्मक काली शक्तिसे थोडे समयमें घरके स्पंदनमें नकारात्मक परिवर्तन आने लगते हैं; फलस्वरूप घरमें अनेक प्रकारके कष्ट आरम्भ हो जाते हैं; जैसे घरमें कलह-क्लेश रहना, गर्भवती स्त्रीका बार-बार गर्भपात हो जाना, व्यापारमें हानि होना या घरमें धन आनेपर भी उसमें वृद्धि या बरकत न होना, घरके लोगोंको वंशानुगत या असाध्य रोग होना, सन्तानोंका विवाह न होना या सम्बन्ध विच्छेद हो जाना इत्यादि; अतः हमें मृत पूर्वजोंके छायाचित्र घरमें, कार्यालयमें, पूजाघरमें या अपने व्यापारिक प्रतिष्ठानमें नहीं लगाने चाहिए; क्योंकि किन पितरोंको गति मिली है एवं किन्हें नहीं मिली है ?, यह कोई सन्त ही बता सकते हैं और ऐसे सन्तोंको ढूंढना कठिन है एवं यदि वे मिल भी जाएं तो उन्हें ऐसी बातें बतानेमें विशेष रुचि नहीं होती है ।
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