हिन्दूत्व जानने भारत आए १३ रूसी नागरिकोंने अपनाया हिन्दू धर्म !


जनवरी २५, २०१९

 

सनातन धर्म एक ऐसा धर्म है, जिसके बारेमें यदि कोई अन्य गहराईसे जाननेका प्रयास करे, तो वास्तव वो अपने आपको तन-मनसे सनातनी बना लेगा । यहां तक कि वह अपना धर्म भी परिवर्तितकर सनातनी बन जाएगा । कुछ ऐसा ही हुआ हिन्दुत्वके बारेमें जानने निकले रूसके १३ नागरिकोंके साथ । ये सभी रूसी नागरिक हरियाणामें भिवानीके बाबा जहरगीरीके आश्रममें ईसाईयत त्यागकर हिन्दू बन गए ! साथ ही इन्होंने राजधानी मास्कोमें शिव मन्दिर बनवाने और पूरे विधि-विधानसे सनातन धर्मके अनुसार अनुष्ठान करानेका भी निर्णय किया है । इसके पश्चात ये सभी विश्वमें सनातन धर्मके प्रचार-प्रसारके लिए निकल पडेंगे ।

इन १३ रूसी लोगोंने भिवानी और मास्कोके मध्य गुरु-शिष्यका ऐसा सम्बन्ध जोडा है कि लम्बे समयतक रूसमें हिन्दुत्‍व पल्लवित-पुष्पित होता रहेगा । इनके वापस जानेके पश्चात फरवरीमें रूसी छात्रोंके दल भी भिवानी आएंगें । ये विद्यार्थी भी वैदिक परम्पराकी दीक्षा लेंगे । इसके बाद भिवानीके सन्त मास्को जाएंगे । वहां १ से ७ मईतक मास्कोमें रहकर यज्ञ आदि करके वैदिक परम्पराका प्रचार-प्रसार करेंगे ।

बाबा जहरगिरीके पीठाधीश्वर महन्त डॉ. अशोक गिरीके शिष्य संगम गिरी बताते हैं, “२०१७ में हमारे गुरुजी असमके कामख्या शक्तिपीठ गए थे । वहां गायत्री (पुराना नाम- गलिना) गुरुजीके सम्पर्कमें आईं । वह योग शिक्षिका हैं और योगमें पूरे विश्वमें भारतको गुरु मानती है । योगेश्वर शिवके लिए गायत्रीके मनमें श्रध्दा भी थी ।”

दोनोंको ही अंग्रेजी भाषाका ज्ञान होनेके कारण वार्तामें कोई समस्या नहीं हुई । इसके पश्चात २०१८ सितम्बरमें पुनः मास्को गए और दो माहतक वैदिक परम्पराका प्रचार करके आए । इसके पश्चात वहांसे भारत और विशेषतया भिवानी आनेवाले रूसी लोगोंकी संख्या बढ गई है ।

संगम गिरी की मानें तो सनातन धर्ममें दीक्षित हुए ये सभी १३ रूसी नागरिक अबतक भारतके १२ ज्योतिर्लिंगोंमेंसे ११ के दर्शन कर चुके हैं । जिन ज्योतिर्लिंगोंके इन्होंने दर्शन किए हैं, उनके नाम हैं – काशी विश्वनाथ, ओंकारेश्वर, महाकालेश्वर, सोमनाथ, रामेश्वरम, त्रयम्बकेश्वर, घूषनेश्वर, श्रीसैलम मल्लिकार्जुन, केदारनाथ, नागेश्वर और हिमाशंकर ।

इसके अतिरिक्त वैदिक परम्परा अपनानेवाले इन रूसियोंने इस वर्ष प्रयागराजमें महाकुम्भमें संगममें डुबकी भी लगाई । वे भारतके सभी प्रमुख धार्मिक स्थलोंके दर्शन करना चाहते हैं ।

 

वस्तुतः सनातन धर्म ही एकमात्र सत्य है । यह एक ऐसी पद्धति है, जो इसके विधानसे स्वतः ही व्यक्तिको ‘स्व’का ज्ञान करवाती है और तदोपरान्त आत्माकी परमात्मासे मिलनकी यात्रा करवाती है । कोई भी शान्ति व ईश्वर प्राप्तिकी इच्छा रखनेवाला इसे स्वतः ही अपनाएगा; परन्तु विडम्बना तब होती है, जब कोटि पुण्योंके फलस्वरूप जिन्हें सनातन हिन्दू धर्ममें जन्म मिला है, वे इसका पालन नहीं करते हैं और पाखण्ड बताकर पाश्चात्य आसुरी संस्कृतिका अन्धानुकरण करते हैं, वहीं दूसरी ओर जो अहिन्दू हैं, जो ये समझ चुके होते हैं कि अन्य केवल शाखाएं हैं और सनातन सम्पूर्ण वृक्ष, वे इसे सहज ही अपनाते हैं !”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ

 

स्रोत : इपोस्टमोर्टम



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