बाबा रामदेवका प्रखर वक्तव्य, मदर टेरेसाको ‘भारत रत्न’ मिला, क्योंकि वो ईसाई थीं, संन्यासियोंको क्यों नहीं ?


जनवरी २७, २०१९

 

योगगुरु बाबा रामदेवने स्वतन्त्रताके पश्चात अबतक एक भी संन्यासीको भारत रत्न न दिए जानेको लेकर असन्तोष प्रकट किया है । इसके साथ महर्षि दयानन्द सरस्वती, स्वामी विवेकानन्दजी, या शिवकुमार स्वामी जैसे सन्तोंको भारत रत्न दिए जानेकी मांग भी की है ।

समाचार विभाग ‘एएनआई’से बात करते हुए बाबा रामदेवने पूछा, “महर्षि दयानन्द सरस्वती और स्वामी विवेकानन्दका योगदान राजनेताओं और कलाकारोंसे अल्प है ? आजतक एक भी संन्यासीको भारत रत्न क्यों नहीं मिला ? मदर टेरेसाको दे सकते हैं; क्योंकि वो इसाई हैं; परन्तु संन्यासियोंको नहीं; क्योंकि वो हिन्दू हैं ! क्या हिन्दू होना अपराध है, इस देशमें ? यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि गत ७० वर्षोंमें किसी भी संन्यासीको भारत रत्न नहीं दिया गया । ऐसे सभी सन्त जिन्होंने इतना कुछ दिया है, उन्हें भारत रत्न अवय मिलना चाहिए ।”

 

इससे पूर्व बाबा रामदेव जनसंख्याको लेकर भी एक वक्तव्य दे चुके हैं, जिससे काफी हंगामा मच गया था । उन्होंने कहा था कि देशकी जनसंख्याको नियन्त्रण करनेके लिए उन सभी लोगोंसे मताधिकार छीन लिए जाने चाहिए, जिनके दोसे अधिक बच्चे हैं !

 

यद्यपि सन्त और सन्यासी इन सभी पुरस्कारोंसे परेय होते हैं, उन्हें न किसी मानकी आशा रहती है और न ही वे उस स्थितिमें होते हैं; क्योंकि उनका स्थान इन सबसे कहीं अधिक ऊपर हो गया होता है, तथापि शासनमें बैठे लोगोंका कर्त्तव्य है कि वे सन्तकी ओर, समाजको दिशा दिखाने हेतु कृतज्ञता व्यक्त करें और तो और जो कार्य उनका है, वे भी सन्त कर रहे हैं; अतः कृतज्ञता व्यक्त करनी संस्कार है ! परन्तु यह इस हिन्दू बाहुल्य राष्ट्रकी विडम्बना है कि भारत रत्न तो दूर है, कासीको कारावासमें डाला जाता है तो कोई उपेक्षाका लक्ष्य बनता है और कारण केवल संस्कार व धर्महीन हिन्दू हैं !”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ

 

स्रोत : इपोस्टमोर्टम



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