अयोध्या विवादपर शासनका योग्य पग, न्यायालयसे कहा कि बिना विवादवाली भूमि रामजन्म भूमि न्यासको लौटाई जाए !


जनवरी २९, २०१९

अयोध्या विवाद समाप्त करनेकी दिशामें केन्द्र शासनने एक बडा पग उठाया है । शासनने उच्चतम न्यायालयमें याचिका प्रविष्टकर अयोध्या विवादकी ‘विवादित’ भूमिको छोडकर शेष भूमि ‘रामजन्म भूमि न्यास’को वापस करनेको कहा है ।

सूत्रोंके अनुसार, शासनने याचिकामें कहा है कि २.७७ एकड भूमि, जो ‘विवादित’ है, उसे छोडकर शेष ६७ एकड भूमिको वापस किया जा सकता है । शासनने कहा है कि ६७ एकड भूमि विवादित नहीं, फिर उसे लटकाकर क्यों रखना है ?

मोदी शासनने अपनी याचिकामें कहा है कि राम जन्मभूमि न्यासने १९९१ में अधिग्रहित की गई अतिरिक्त भूमिको मूल मालिकोंको वापस करनेकी मांग की थी । याचिकामें आगे कहा गया है कि इस्माइल फारूकी निर्णयमें उच्चतम न्यायालयने कहा था कि शासन इलाहाबाद उच्च न्यायालयके निर्णयके पश्चात ‘विवादित’ भूमिके आसपास ६७ एकड भूमिको वापस करनेपर विचार कर सकती है । बता दें कि यह भूमि विवादित ढांचेके गिरनेके पश्चात केन्द्र शासनने अधिग्रहित की हुई है ।

 

“जहां एक ओर उच्चतम न्यायालय जान-बूझकर इस प्रकरणको लटकाए रखना चाहता है, उसीको ध्यानमें रखते हुए शासनद्वारा लिया गया यह निर्णय अवश्य ही प्रशंसनीय है; परन्तु यह आरम्भ पहले क्यों नहीं लिया गया ? यह अवश्य ही शंका निर्माण करता है और क्या इस याचिकाको सुननेके लिए न्यायाधीशोंके पास समय होगा ? लज्जाजनक है कि हिन्दुओंके दिए करसेवेतन पानेवाले उन्हींके मुद्दे अटकाकर छुट्टियां मना रहे हैं ! और वहीं समस्त हिन्दू द्रोही निर्णयोंके लिए न्यायालयोंके पास समय है !”- सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ

 

स्रोत : भास्कर



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