पुरीके शंकराचार्य स्वामी निश्चलानन्दका साधु-सन्यासियोंसे एकत्र होनेका आह्वाहन, कहा कि राम मन्दिरके आसपास कोई मस्जिद या मीनार स्वीकार्य नहीं !!


जनवरी ३१ २०१९
   
अयोध्यामें विवादित स्थलपर राम मन्दिर निर्माणके मुद्देपर सन्तों और हिन्दू संगठनोंसे एकताका आह्वान करते हुए पुरीके शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वतीने गुरूवार, ३१ जनवरीको कहा कि राम मंदिरके आसपास कोई भी मस्जिद या मीनार सन्त समाजको स्वीकार्य नहीं होगी । मुख्यमन्त्री योगीसे भेंटके पश्चित शंकराचार्यने कहा कि राम मन्दिर निर्माणके लिए राजनीतिक दलोंमें विभाजित सन्त समाजको एकत्र होना होगा ।

मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथसे अपने कुम्भ मेला स्थित शिविरमें भेंटके पश्चात पत्रकारोंसे वार्तामें स्वामी निश्चलानन्दने कहा कि योगी आदित्यनाथने उनको आश्वस्त किया है कि मन्दिर निर्माणको लेकर बीजेपी शासनका रवैया सन्त समाजसे भिन्न नहीं है । यद्यपि यह संवेदनशील प्रकरण है और उच्चतम न्यायालयमें विचाराधीन है; इसलिए न्यायालयकी गरिमा और संविधानकी मर्यादा बनाए रखनेके लिए शासन संकल्पित है ।

शंकराचार्य निश्चलानन्द सरस्वतीजीके अनुसार, मुख्यमन्त्री योगीने कहा कि इस प्रकरणका शीघ्र और अनुकूल निर्णय मिलनेकी सम्भावना अत्यधिक अल्प है । शासनने न्यायालयकी सुविधाके लिए दस सहस्र पृष्ठोंकी सामग्रीका अंग्रेजी अनुवाद करके उपलब्ध कराई है । अटल बिहारी वाजपेयी शासनके समय पुरातत्व विभागद्वारा विवादित स्थलके आसपास कराए गए उत्खननमें भी मन्दिरके अवशेष मिले थे; इसलिए देरसे ही सही, परन्तु न्यायालयने निर्णयसे सन्त और हिन्दू समाज निराश नहीं होगा ।

शंकराचार्यने कहा कि वीएचपी और संघ सहित सभी हिन्दू संगठनोंके अतिरिक्त राजनीतिक दलोंमें विभाजित सन्त समाजको मन्दिर निर्माणके लिए एकत्र होना होगा । यदि केवल उत्तर प्रदेशकी बात करें तो सन्त समाज एसपी, बीएसपी, बीजेपी और कांग्रेसमें विभाजित हुआ है । उन्होंने कहा कि मुसलमानोंके प्रति हिन्दुओंके सौहार्दपूर्ण रवैयेको समाजकी दुर्बलता समझना नादानी होगी ।

इसके अतिरिक्त वीएचपीकी धर्म संसदमें सम्मिलित होनेके प्रश्नपर शंकराचार्यने कहा कि उन्हें वीएचपीके पदाधिकारियोंने आमन्त्रित किया था; परन्तु वह कभी भी वीएचपी या आरएसएसके मंचपर नहीं गए हैं और इस बार भी परम्परा नहीं तोडेंगे । यद्यपि राम मंदिरपर अपने दृष्टिकोणसे मुख्यमन्त्री योगी और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत सहित अन्य नेताओंको अवगत करा दिया है ।

 

“सन्त अर्थात पक्षवादसे रहित समाजको दिशा दिखानेवाला; परन्तु आज निष्पक्ष रहकर बोलनेवाले सन्तोंकी संख्या नग्न्य समान है और अन्य जो साधु- सन्यासी हैं, उनमेंसे अधिकतर किसी न किसी राजनीतिक दलका आधार लिए है, तभी धर्मकी इतनी विडम्बना हो रही है ! सबरीमाला, राम मन्दिर, धर्म परिवर्तन आदिपर आजके सन्यासी या साधुओंकी नग्न्य समान संख्या ही है, जो मुखर होकर बोलते हैं व समाजको सत्यसे अवगत कराते हैं । ऐसा नहीं है कि यह केवल हम कह रहे हैं, पूज्य शंकराचार्य सरस्वतीजी बी उसी कटु सत्यको बताकर एकत्र होनेका आह्वाहन कर रहे हैं !”  – सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ

 

स्रोत : नभाटा



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