मार्च १०, २०१९
झारखण्डकी राजधानी रांचीके डोरंडाकी रहनेवाली मुस्लिम युवती राफिया नाज आज योगके क्षेत्रमें एक प्रचलित नाम हैं । योगको धर्मसे परे माननेवाली राफियाको आज योगके कारण ही लक्ष्य भी बनाया जा रहा है । झारखण्डमें ‘योग बिऑन्ड रिलिजन’ अभियानका अंग बन चुकीं राफिया आज न केवल बच्चों और विभिन्न संस्थानोंमें जाकर लोगोंको नि:शुल्क योगका प्रशिक्षण देती हैं, वरन योगका एक विद्यालय भी चलाती हैं ।
राफिया अब तक ४००० से अधिक बच्चोंको योगका प्रशिक्षण दे चुकी हैं । राफिया चार वर्षकी आयुसे योग कर रही हैं । वर्तमान समयमें वह रांचीके डोरंडा क्षेत्रमें आदिवासी, मुस्लिम और अनाथ आश्रमके बच्चोंको योग सिखा रही हैं । राफिया कहती हैं, “स्वयंको स्वस्थ रखनेके लिए योगसे सही कुछ भी नहीं । योगका धर्मसे कोई लेना देना नहीं है ।”
रांचीकी मारवाडी महाविद्यालयकी स्नातककी छात्रा राफियाका अभिज्ञन आज योग प्रशिक्षकके रूपमें होने लगा है । योगगुरु बाबा रामदेवके साथ मंच साझा कर चुकीं राफियाने कहा, “योग आत्मासे परमात्माको जोडनेका माध्यम है, जो प्राकृतिक है । योग स्वास्थ्य लाभके लिए है। जो लोग योगको धर्मसे जोडते हैं, वे योगकी महत्ताको नहीं समझते हैं ।’
राजकीय और राष्ट्रीय स्तरपर कई सम्मान और पुरस्कार पा चुकी राफियासे जब ‘योगमें मन्त्र पढने और सूर्य नमस्कारसे उद्विग्नता’के सम्बन्धमें पूछा तब राफियाने कहा, “मुझे मुस्लिम होनेके पश्चात मन्त्र पढनेसे कोई उद्विग्नता नहीं है । यदि, किसीको है तो वे मन्त्र नहीं पढें । कहीं भी योगमें मन्त्रकी अनिवार्यता नहीं है । सूर्य नमस्कार एक श्रृंखला है, जिसका नाम ‘सन सैल्यूशन’कर लें ।’ जीवनमें शुद्धता और पवित्रताको योगका आधार बताते हुए उन्होंने कहा कि इस दिशामें निरन्तर कार्य किए जा रहे हैं ।
राफियाको योगके कारण अपने ही समाजके कट्टरपथियोंके विरोधका सामना भी करना पड रहा है ! राफिया यद्यपि ऐसे लोगोंको किसी धर्म और समाजसे जोड़कर नहीं देखना चाहतीं । उन्होंने कहा कि योगके कारण उन्हें मारनेकी ही चेतावनी नहीं दी गई, वरन लोगोंके फोन और सामाजिक प्रसार माध्यमपर अपशब्द भी सुनने पडते हैं ।
वह कहती हैं कि ऐसे कौन लोग हैं ?, उन्हें वे पहचानती तक नहीं हैं । वे कहती हैं कि उन्होंने इसकी परिवाद पुलिससे भी की । उन्होंने बताया, “ उन्हें ये चेतावनी गत चार वर्षोंसे मिल रही हैं; परन्तु गत कुछ दिवसोंसे इसकी संख्यामें वृद्धि हुई है । लोग चेतावनी देते हैं कि उठवा लेंगें । मार देंगें ।” वे कहती हैं कि अब तो उनको ऐसी चेतावनियोंकी आदत हो गई है । एक वर्ष पूर्व उनपर प्राणघातक आक्रमण किया गया है । पुलिसने अब उन्हें अंगरक्षक दे रखा है ।
“राफिया योगको ही अपने जीवनका आधार बना चुकी हैं व धर्मान्धोंके विरोधके पश्चात भी इसका प्रसार भी कर रही हैं, इस हेतु वे अभिनन्दनकी पात्र है । इस्लामिक विष योगका प्रचार नहीं करता है, इससे ज्ञात होता है कि उनका बुद्धिमता तथा शान्तिसे कोई लेना-देना नहीं है । जो धर्मान्ध इसका विरोध करते हैं वे यह भूल जाते हैं कि नमाज पढते समय वे वज्रासनका उपयोग करते हैं, तो उसे भी त्यागे, उसे क्यों अपनाया है ? यह तो पागलपन और बुद्धिहीनताका परिचायक है ! एक योग सीखानेवाली महिलापर आक्रमण करनेसे पूर्व वज्रासन करनेसे पूर्व स्वयंको क्यों नहीं मारते ! इस विश्वको बैठना भी सनातन धर्मने सिखाया है, जिसे हम सुखासन कहते हैं, तो इस्लामिक कट्टरपन्थियोंको वह भी नहीं करना चाहिए । पशु समान घूमनेवाले मानवको दांत स्वच्छ करना भी सनातनने सीखाया है, तो उसका भी परित्याग करें । वास्तवमें यह मौलवियोंके प्रसारित विषका ही परिणाम है और हास्यास्पद है कि सारा विश्व इस्लामकी विषकारी मानसिकतासे उद्विग्न है और धर्मनिरपेक्षताकी सीख हिन्दुओंको दी जाती है ! – सम्पादक, वैदिक उपासना पीठ
स्रोत : नभाटा
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