आर्य वैदिक सनातन हिन्दू धर्मकी विशेषताएं (भाग – ४)


विश्वके अन्य पंथोंकी (तथाकथित धर्म) तुलनामें हिन्दू धर्मकी एक विशेषता यह है कि इस धर्ममें ईश्वरप्राप्तिके अनेक मार्ग हैं जिसे योगमार्ग, साधना पद्धति या उपासना पद्धति कह सकते हैं ! संक्षेपमें ऐसा कहा जा सकता है कि विश्वके अन्य सभी पंथ किसी विद्यालयका एक छोटासा विभाग है और हिन्दू धर्म एक विशाल विश्वविद्यालय है, जहांके प्रत्येक विभागका विज्ञान अत्यधिक प्रगत है !

सनातन धर्म कहता है कि प्रत्येक व्यक्तिका एक भिन्न व्यक्तित्व होता है, उसकी भिन्न प्रकृति होती है; अतः उसकी साधनाकी पद्धति भी भिन्न होती है ! संक्षेपमें, जितने व्यक्ति, उतनी प्रकृतियां, उतने ही साधना मार्ग, यह साधना धर्मका मूलभूत सीख है ! इसलिए यहां अनेक उपासना पद्धतियां या योगमार्ग हैं; किन्तु यहां पुनः इसे लेकर मारकाट नहीं होती है, सभी सनातनी धर्मी एक दूसरेकी साधना पद्धतिका सम्मान करते हैं; क्योंकि उन्हें ज्ञात होता है कि सभीका मूल उद्देश्य उस परम सत्तासे एकरूप होना होता है ! इस धर्ममें इतने साधना मार्ग होनेके कारण भी अनेक धर्मशास्त्र या साधनाके मार्गदर्शन करनेवाले ग्रन्थ हैं | भक्तियोग, कर्मयोग, ध्यानयोग, ज्ञानयोग, राजयोग, हठयोग, कुण्डलिनीयोग, भावयोग, प्रेमयोग, गुरुकृपायोग इत्यादि अनेक योगमार्ग हैं ! वस्तुत: सनातन धर्ममें इतने योगमार्ग हैं कि इनके अभ्यास हेतु एक जन्म भी पर्याप्त नहीं है ! क्या ऐसे धर्ममें जन्म लेनेपर हमें गर्व नहीं होना चाहिए ? तब भी कुछ अज्ञानी इस धर्मको छोडकर किसी पंथके अनुयायी बन जाते हैं, एकप्रकारसे यह विश्वविद्यालयकी शिक्षा छोडकर पुनः बालवाडीमें जाने समान है !



Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

सम्बन्धित लेख


विडियो

© 2021. Vedic Upasna. All rights reserved. Origin IT Solution