गुरुग्राम, हरियाणाके श्री मयंक गुप्ताकी अनुभूति


जब घरसे ‘छू-मंतर’ (लुप्त) हो गए मच्छर
फरवरी २०१५ में मेरे घर मां तनुजा ठाकुरका सत्संग हुआ । उन्होंने प्रवचनके मध्य हमें घरकी वास्तु शुद्धिके उपाय बताए । जिनमेंसे मेरी धर्मपत्नीने कुछ उपाय नियमित रूपसे करने आरम्भ किए जो निम्नलिखित हैं –
१) प्रातः और संध्या समय सनातन संस्था निर्मित उदबत्ती जलाना ।
२) प्रातः और संध्या पूरे घरमें देसी गायके मूत्रका छिङकाव करना ।
३) सप्ताहमें न्यूनतम दो बार नीमकी धूनी जलाना ।
४) अपने इष्टदेवताका नामजप करना ।
५) सन्तद्वारा उच्चारित नामजपकी ध्वनि चक्रिका (cd) २४ घण्टे चलाना ।
६) घरमें तुलसीका पौधा लगाना ।
सूक्ष्म रूपमें मेरी वास्तुमें क्या परिवर्तन हुए ? यह तो कोई सन्त ही बता सकते हैं; परन्तु मैंने यह पाया कि इतने दिनोंसे मेरे घरमें एक भी मच्छर नहीं है, जबकि मेरे पङोसी मच्छरोंसे अत्यधिक दु:खी रहते हैं । मैं जैसे ही घरसे बाहर निकल कर घरकी सीढियोंपर आता हूं, मच्छर भिनभिनाने लगते हैं; परन्तु मेरे घरमें नहीं घुस पाते हैं । सामान्यतया इन दिनोंमें बहुत मच्छर होते हैं; इसलिए मच्छर भगानेका विषैला तरल (mosquito liquid repellent) लेकर आया था; परन्तु वह यूं ही रखा हुआ है । – मयंक गुप्ता, गुरुग्राम हरियाणा(२८.४.२०१५)
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