गोड्डा, झारखण्डकी खुशबू कुमारीकी अनुभूति


१. २२.३.२०१३ को हम सब गंगा स्नानके लिए चौपहिया वाहनमें (जीपमें) जा रहे थे, जाते समय मार्गमें मैं ‘श्री गुरुदेव दत्त’का नामजप कर रही थी । कुछ समय पश्चात् नामजप छोडकर मैंने चित्रपटके गीत गाने आरम्भ कर दिए तभी गाडीसे बहुत अधिक धुआं निकलने लगा तथा गाडी थोडी देरके लिए रोकनी पडी । थोडी दूर जानेके पश्चात् मैंने पुनः चित्रपटके गीत गाने आरम्भ कर दिए, इसबार गाडीसे बहुत अधिक धुआं निकलने लगा तो चालक, गाडीको बन्द करनेका प्रयत्न कर रहा था; परन्तु वह नहीं हो रही थी, तब दूसरा चालक गाडी बन्द करनेका प्रयत्न करने लगा, मैंने मन ही मन पुनः ‘श्री गुरुदेव दत्त’का नामजप आरम्भ कर दिया तो गाडी बन्द हो गई ।  गंगास्नान कर वापस आते समय मैं पूरे समय नामजप कर रही थी वाहनमें कोई अडचन नहीं आई !

२. तनुजा मां कुछ दिवसके लिए हमारे गांव (अपने पिताजीके पैतृक निवास) आई थीं । १२.४.२०१३ को मैंने काली मांसे घरमें प्रार्थना कि तनुजा मां मुझे कोई सेवा करनेकी आज्ञा दें, सन्ध्याकी आरतीमें भी प्रार्थना करती रही, आरती समाप्त होनेके साथ ही मांने मुझे और अन्य साधकोंको मन्दिरकी स्वच्छताकी सेवा दी । – खुशबु कुमारी, झारखण्ड
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