प्रयाग, उत्तर प्रदेशकी कुमारी संचिता वर्माकी अनुभूति


ख्रिस्ताब्द २०१५ के मकरसंक्रान्तिके उपलक्ष्यमें वैदिक उपासना पीठके आश्रममें मां दुर्गा और भगवान शिवका सामूहिक जपयज्ञ था । नामजपके मध्य तनुजा मांने जब मेरे हाथोंमें अभिमन्त्रित जल दिया तो उस जलमें दुर्गा मांकी छविकी अनुभूति हुई ।

उसी दिवस नामजपके पश्चात्, जब अन्य साधक अनुभूति कथन कर रहे थे तो मेरी छोटी बहन सौम्याने अपनी अनुभूति बताई कि उसे दुर्गा मांके छायाचित्रमें तनुजा मांकी छवि दिखाई दी तो मैं मनमें हंसी कि इसे ही ऐसा अनुभव होता है और थोडी ही देरमें जब मैंने नामजपकी समाप्तिके समय भगवानको हाथ जोडकर नेत्र बन्द किए तो मां दुर्गाकी छविमें तनुजा मांका मुख दिखा और वे सोनेके आभूषणोंसे शोभित थीं, ढाई महीनेमें तनुजा मांके साथ आश्रममें रह रही हूं, इस प्रकारकी अनुभूतियां मुझे प्रथम बार ही हुई हैं । – कुमारी संचिता वर्मा, प्रयाग (उत्तरप्रदेश)



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